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दिल्ली हाई कोर्ट ने इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में भाग लेने के लिए 11 व 13 फरवरी को दी कस्टडी पैरोल

दिल्ली हाई कोर्ट फाइल फोटो

नई दिल्ली, 10 फरवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग के आरोपित और बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में शामिल होने के लिए 11 एवं 13 फरवरी को कस्टडी पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने यह आदेश दिया। हाई कोर्ट ने 7 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए इंजीनियर रशीद को मोबाइल फोन या लैंडलाइन या इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश दिया है। हालांकि कस्टडी पैरोल की अभी गाइडलाइन नहीं जारी की गयी है।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान एनआईए ने कस्टडी पैरोल की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग करने का अधिकार नहीं है। एनआईए ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि एक बार गिरफ्तार होने या कानूनी रूप से हिरासत में होने के बाद सांसद को सदन की बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सुरेश कलमाडी के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आरोपित के पास संसद सत्र में शामिल होने के लिए राहत मांगने का कोई अधिकार नहीं है। अगर सांसद आपराधिक कार्यवाही में शामिल हैं, तो सांसदों को प्राप्त अधिकार और दायित्व लागू नहीं होंगे।

सुनवाई के दौरान रशीद के वकील ने कहा था कि इस कोर्ट के पास रशीद को सदन जाने की अनुमति देने का विवेकाधिकार है। रशीद का मामला सुरेश कलमाडी के मामले से बहुत अलग है जबकि रशीद सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है। तब कोर्ट ने पूछा था कि रशीद सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है। इसके जवाब में एनआईए ने कहा था कि रशीद को सशस्त्र बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान करनी होगी जिसकी अनुमति नहीं है क्योंकि संसद में हथियारबंद लोग कैसे घुस सकते हैं। एनआईए ने जम्मू-कश्मीर से मिली सूचना का हवाला देते हुए कहा था कि वह जेल में फोन का इस्तेमाल कर रहा था, उसे हटा दिया गया है। हालांकि हमारी चिंता यह है कि इसमें एनआईए के दायरे से बाहर तीसरे पक्ष के मानदंड, सुरक्षा मुद्दे और चिंताएं शामिल हैं।

इंजीनियर रशीद ने 4 अप्रैल तक चलने वाले संसद के सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। हाई कोर्ट ने 23 जनवरी को इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआइए को नोटिस जारी किया था।

इंजीनियर रशीद ने 28 अक्टूबर 2024 को तिहाड़ जेल में सरेंडर किया था। 10 सितंबर 2024 को पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर 2024 तक अंतरिम जमानत दी थी। उसके बाद से कोर्ट ने इंजीनियर रशीद की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी। इंजीनियर रशीद ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी। इंजीनियर रशीद को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।

पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, इंजीनियररशीद, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग इन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह

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