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जम्मू, 9 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । सामाजिक मूल्यों की रक्षा और सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाने के उद्देश्य से माधव सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में धर्म जागरण समन्वय द्वारा आज वेद मंदिर प्रांगण, अम्बाफल, जम्मू में राजपूत परियोजना महिला सम्मेलन आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजपूत समाज से जुड़ी महत्वपूर्ण चिंताओं जैसे धर्मांतरण, लव जिहाद और घटती जनसंख्या दर पर विचार-विमर्श करना था।
प्रसिद्ध सामाजिक चिंतक सुरेखा चारक ने सम्मेलन की अध्यक्षता की जबकि किश्तवाड़ की विधायक शगुन परिहार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
धर्म जागरण उत्तर क्षेत्र प्रभारी राकेश त्यागी मुख्य वक्ता थे जिन्होंने समाज में एकता, सामाजिक जागरूकता और धार्मिक संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर मातृशक्ति का भव्य प्रदर्शन हुआ जब वेद मंदिर से एक पदयात्रा निकाली गई। इस दौरान ‘भारत माता की जय, जय शिवाजी, जय भवानी, जय श्री राम’ जैसे देशभक्ति और सांस्कृतिक नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। यह यात्रा मुख्य बाजार से होते हुए पुनः मंदिर परिसर में संपन्न हुई।
सभा को संबोधित करते हुए राकेश त्यागी ने जातिगत भेदभाव को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो धर्मांतरण के पीछे एक प्रमुख कारण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव समाज की एकता को कमजोर करता है और विभाजन को बढ़ावा देता है, जिससे अवसरवादी शक्तियां लाभ उठाती हैं।
उन्होंने राजपूत समुदाय से अपने सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने का आह्वान किया और युवाओं में इन आदर्शों को स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज, जनरल जोरावर सिंह, महाराजा गुलाब सिंह और महाराजा हरि सिंह जी जैसे वीर योद्धाओं के उदाहरण दिए, जिन्होंने अपने समय में साहस, निष्ठा और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखा।
त्यागी ने कहा कि सच्ची शक्ति समुदाय की एकता और आपसी सम्मान में निहित है। इससे न केवल समृद्ध विरासत संरक्षित होगी, बल्कि बाहरी प्रभावों के खिलाफ पहचान भी मजबूत होगी। उन्होंने समाज में हर व्यक्ति को सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार देने पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि विधायक शगुन परिहार ने अपने संबोधन में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और उन्हें अपने धर्म की रक्षा एवं पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत किए।
यह आयोजन राजपूत समुदाय को एकजुट रहने, अपनी परंपराओं को बनाए रखने और सनातन धर्म की रक्षा में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए एक प्रेरणादायक आह्वान साबित हुआ। राजपूत परियोजना महिला सम्मेलन ने सामाजिक उत्थान और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रतिबद्धता को पुनः सशक्त किया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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