
कोलकाता, 09 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । ‘पुस्तकें हमें अपनी अपने समय के साथ हमारी संस्कृति और भाषा की भी प्रतीक होती हैं, इस परिचर्चा में सम्मिलित पुस्तकें हमें विविधता के साथ साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगम से अभिसिंचित करती है। अतः रचनात्मकता के लिए सांवेदिक उद्वेलन जरूरी है’। उपरोक्त बातें यूको बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंधक, राजभाषा विजय कुमार यादव ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित एक शाम किताबों के नाम’ के पंचम आयोजन को बतौर अध्यक्ष संबोधित करते हुए कही।
कार्यक्रम में ऋतु डागा कृति राम ही आधार’, रणजीत भारती की काव्य कृति अंगड़ाइयां लफ्जों की’ तथा सत्यप्रकाश दूबे की पुस्तक ‘राजभाषा कलश’ पर विशेष चर्चा हुई। लेखकीय वक्तव्य के पश्चात समीक्षात्मक टिप्पणी वुमेन्स कॉलेज कलकत्ता की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्नेहा सिंह, गुजरात यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा नेहा उपाध्याय एवं रक्षा लेखा विभाग के कनिष्ठ अनुवादक अमरनाथ सिंह ने की।
कुमारसभा के अध्यक्ष महावीर प्रसाद बजाज ने इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्संग एवं स्वाध्याय से स्वाभिमान का निर्माण होता है। बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अपने सारस्वत आयोजनों का यही एक आयाम है एक शाम किताबों के नाम’। महानगर के साहित्यकारों की सद्य प्रकाशित पुस्तकों में किन्ही चयनित तीन रचनाकारों की कृतियों पर चर्चा हेतु इस मंच की स्थापना की गई है। इसमें हिन्दी के अतिरिक्त भोजपुरी, मैथिली, राजस्थानी एवं अन्य भाषाओं की कृतियों पर भी चर्चा होगी।
कार्यक्रम के आरंभ में सुप्रसिद्ध कवि रमाकान्त सिन्हा ने सस्वर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन
डॉ. कमल कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन भागीरथ सारस्वत ने किया। इस गोष्ठी में महानगर के कई गणमान्य साहित्यकार तथा विद्वत जन एवं साहित्यप्रेमी सम्मलित हुए जिन्होंने इस सारस्वत आयोजन की सराहना की।
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(Udaipur Kiran) / संतोष मधुप
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