शिमला, 9 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के चलते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन नहीं कर सका था लेकिन अब दिल्ली के चुनाव परिणाम आ चुके हैं औऱ हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम निर्णय की प्रक्रिया तेज हो गई है।
अहम होगा अध्यक्ष का चयन, 2027 के विधानसभा चुनाव पर नजर
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बार प्रदेश अध्यक्ष के चयन में जातीय, क्षेत्रीय और सांगठनिक समीकरणों को प्राथमिकता दे सकता है। 2027 में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी एक मजबूत और प्रभावी नेतृत्व की तलाश में है जो न केवल पार्टी संगठन को मजबूती दे बल्कि आगामी चुनावों में जीत सुनिश्चित कर सके। यही कारण है कि भाजपा में इस पद के लिए जबरदस्त लॉबिंग हो रही है। सांसदों से लेकर विधायकों तक कई बड़े नाम इस दौड़ में शामिल हैं।
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यदि किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई तो बिंदल को दोबारा अध्यक्ष पद सौंपा जा सकता है। लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार उनके फिर से अध्यक्ष बनने की संभावना कम है।
आधा दर्जन से अधिक नेता दौड़ में
हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष पद की रेस में आधा दर्जन से अधिक नाम सामने आ रहे हैं। इनमें से अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले डॉ. सिकंदर भाजपा संगठन में लंबे समय से सक्रिय हैं। वर्तमान में वे राज्यसभा सांसद और प्रदेश भाजपा के महामंत्री भी हैं। वह आरएसएस की भी पसंद बताए जा रहे हैं। भाजपा नेतृत्व दलित वोट बैंक को साधने के लिए उन पर दांव खेल सकता है। महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देने और कांगड़ा जिले में भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी के नाम पर विचार किया जा रहा है। वे लंबे समय से संगठन में कार्यरत हैं और महिला वोटरों पर खास पकड़ रखती हैं।
कांगड़ा से लोकसभा सांसद राजीव भारद्वाज भी इस रेस में मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। वे ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और संगठन में लंबे समय से सक्रिय हैं। हिमाचल भाजपा में पिछले दो दशकों से कोई ब्राह्मण नेता प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना है। आखिरी बार सुरेश भारद्वाज को यह जिम्मेदारी मिली थी। ऐसे में ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी दे सकती है।
दिल्ली चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर से लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर का नाम भी चर्चा में आ गया है। ठाकुर भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में युवा, खेल और सूचना-प्रसारण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुके हैं। वे एक प्रभावी नेतृत्व देने की क्षमता रखते हैं। हालांकि उनके नाम पर सहमति बन पाना मुश्किल माना जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी और बिलासपुर से पहली बार विधायक बने त्रिलोक जम्वाल भी इस दौड़ में शामिल हैं। वे संगठन में पिछले एक दशक से सक्रिय हैं और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के राजनीतिक सलाहकार भी रह चुके हैं। जम्वाल को जेपी नड्डा का करीबी माना जाता है जिससे उनके नाम की संभावनाएं प्रबल हो सकती हैं।
सबसे बड़ा जिला कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाले विधायक बिक्रम ठाकुर संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं। वहीं ऊना से विधायक सतपाल सत्ती इससे पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी संगठन की गहरी समझ रखते हैं। दोनों नेताओं के नाम पर भी विचार किया जा रहा है।
शीर्ष नेतृत्व करेगा अंतिम फैसला
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रही इस रस्साकशी के बीच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जल्द ही किसी नाम पर अंतिम मुहर लगा सकता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार यदि किसी एक नाम पर आम सहमति नहीं बनी तो वर्तमान अध्यक्ष राजीव बिंदल को कार्यकाल बढ़ाकर पद पर बनाए रखा जा सकता है।
बहरहाल हिमाचल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की यह दौड़ बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है। अब सबकी निगाहें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर टिकी हैं जो जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकता है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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