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बिजली बोर्ड कर्मचारी और पेंशनर्स ने मागों को लेकर बुलंद की आवाज़, आंदोलन की चेतावनी

शिमला, 05 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारी, अभियंता और पेंशनर्स के ज्वाइंट फ्रंट ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर दिया है। बुधवार को शिमला में हुई ज्वाइंट फ्रंट की बैठक में कर्मचारियों ने 11 फरवरी से प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। आंदोलन की शुरुआत हमीरपुर जिले में होने वाली महापंचायत से होगी जिसके बाद इसे अन्य जिलों में भी तेज किया जाएगा।

छह प्रमुख मांगों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा

बैठक में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाली, छंटनी का विरोध, आउटसोर्स पर भर्ती बंद करने, 75 चालकों की सेवाएं समाप्त करने का फैसला वापस लेने, पेंशनरों की वित्तीय देनदारियों का भुगतान और बिजली बोर्ड के पदों को खत्म करने की नीति बंद करने जैसी छह प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया गया।

बिजली बोर्ड को ‘प्रयोगशाला’ बना रही सरकार: हीरालाल वर्मा

ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बैठक के बाद सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार बिजली बोर्ड को ‘प्रयोगशाला’ बनाकर प्रयोग कर रही है। कभी कोई सब-कमेटी बोर्ड के लिए फैसले लेती है, तो कभी सरकार कमरे में बैठकर नई नीति बना देती है। अब सरकार ‘रेशनलाइजेशन’ के नाम पर बिजली बोर्ड को कमजोर करने की साजिश रच रही है।

उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के 700 पदों को खत्म कर दिया गया है और मुख्यमंत्री द्वारा भी इसे मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार नए कर्मचारियों की भर्ती करने की बजाय आउटसोर्स पर नियुक्तियां करने का प्रयास कर रही है जिससे बोर्ड की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।

बिजली बोर्ड को घाटे में दिखाने की साजिश

वर्मा ने कहा कि सरकार बिजली बोर्ड को नुकसान में दिखाने की कोशिश कर रही है जबकि वास्तव में बोर्ड घाटे में नहीं है। राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों से 178 करोड़ रुपये का भुगतान अभी तक बिजली बोर्ड को नहीं किया गया है। सरकार की ओर से जानबूझकर वित्तीय संकट खड़ा किया जा रहा है ताकि बोर्ड को कमजोर किया जा सके।

आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा ज्वाइंट फ्रंट

हीरा लाल वर्मा ने कहा कि अगर सरकार ने कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो ज्वाइंट फ्रंट बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा। 11 फरवरी को हमीरपुर में महापंचायत के बाद प्रदेश के हर जिले में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सरकार को मजबूर किया जाएगा कि वह कर्मचारियों की मांगों पर उचित निर्णय ले।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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