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जोधपुर, 05 फरवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि राज्य सरकार द्वारा तबादलों से प्रतिबंध हटाने का मतलब कानून के प्रावधानों का उल्लंघन कर स्थानान्तरण करने का लाइसेंस नहीं हो सकता है।
चितलवाना, जालोर निवासी याचिकाकर्ता चिकित्सक डॉ. तेजपाल सिंह भाकर की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी एडवोकेट ने रिट याचिका दायर कर बताया कि गत 12 वर्षों से चिकित्सा विभाग में कार्यरत याचिकाकर्ता का हॉल ही पदस्थापन खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बाड़मेर पद पर 16 मार्च 2024 को किया गया औऱ तब से ही वह अपनी संतोषप्रद सेवाएं दे रहा है। लेक़िन जूनियर चिकित्सक को एडजस्ट करने और राजनीतिक हस्तक्षेप से उसका स्थानान्तरण बाड़मेर जिले के शिव स्थित अस्पताल में कर दिया गया, जो आदेश सयुंक्त सचिव द्वारा बिना अधिकारिता के पारित किया गया।। राज्य सरकार द्वारा ज़िला परिषद स्थापना समिति को ऐसे स्थानान्तरण का प्रबंधन करने के अधिकार दिए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि स्थानिय शासन निकाय की कार्यात्मक अखंडता बनी रहे। 15 जनवरी के स्थानान्तरण आदेश को रिट याचिका में चुनौती दी गयी।
राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर जाहिर किया गया कि राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दो सप्ताह के सीमित समय के लिए तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने और चिकित्सकों के स्थानान्तरण करने की तात्कालिकता को देखते हुए नियमों और पूर्व न्यायिक निर्णयों की आवश्यक पालना नही की जा सकी। जिस पर उच्च न्यायालय एकलपीठ ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव द्वारा तबादलों से प्रतिबंध हटाने का मतलब क़ानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने का लाइसेंस दिया जाना नहीं हो सकता और यदि ऐसे तर्कों को स्वीकार कर लिया जाता है तो इसका परिणाम यह होगा कि राज्य सरकार के अधिकारियों (वर्तमान मामले में चिकित्सा विभाग का सयुंक्त सचिव) को क़ानून के प्रावधानों की लागू करने से उन्मुक्ति (इम्युनिटी) का विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिसका परिणाम खतरनाक होगा। ऐसे में तबादलों से प्रतिबंध हटाने का मतलब क़ानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने का लाइसेंस कतई नहीं हो सकता।
मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने बताया कि याची का गत 11 महीने में चार बार स्थानान्तरण किया गया है और उसे राजनीतिक कारणों से तंग परेशान किया जा रहा है। राज्य सरकार के जवाब मुताबिक क़ानून के प्रावधानों के विपरीत जाकर तबादलों में छूट अवधि में असक्षम अधिकारी द्वारा स्थानान्तरण के लिए ली गई सहमति भी महत्त्वहीन है।
प्रकरण के तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए और याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होकर राजस्थान हाइकोर्ट एकलपीठ ने निर्णय देते हुए याचिकाकर्ता के स्थानान्तरण आदेश को निरस्त करने का अहम आदेश देते हुए यह व्यवस्था दी कि क़ानूनी प्रावधानों को सामंजस्यपूर्ण ढंग से पढ़ा जाकर स्थानान्तरण आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा ही जारी किया जाना चाहिए। अंतर-ज़िला स्थानान्तरण के लिए चिकित्सा विभाग का सयुंक्त शासन सचिव सक्षम नहीं है, इसलिए उसके द्वारा स्थानान्तरण के लिए पंचायतीराज विभाग से ली गई पूर्व सहमति महत्वहीन है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
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