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कोलकाता, 04 फरवरी (Udaipur Kiran) । राज्य संचालित आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में करोड़ों के वित्तीय घोटाले के मामले में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सहित पांच आरोपितों ने खुद को केस से छूट देने की मांग की है।
मंगलवार को घोष के साथ चार अन्य आरोपितों—सहायक-अंगरक्षक अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा, तथा जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे—ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में राहत की अर्जी दी। सभी आरोपित फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
बुधवार को कोलकाता की विशेष अदालत में इस मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। इसी के साथ पांचों आरोपितों की छूट याचिका पर भी सुनवाई होगी।
पिछले महीने, कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह छह फरवरी तक आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी करे। इसके बाद संदीप घोष ने हाईकोर्ट में अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसे अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया।
सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट में इस घोटाले से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं —
टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर
राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को दरकिनार कर निजी कंपनियों को ठेके देना
अस्पताल से बायो-मेडिकल कचरे की अवैध तस्करी
अज्ञात शवों के अंगों की अवैध बिक्री
चार्जशीट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आरोपितों—विशेष रूप से संदीप घोष—की संपत्ति और परिसंपत्तियों में उनके कार्यकाल के दौरान असामान्य बढ़ोतरी हुई। जांच एजेंसी ने घोष को इस वित्तीय घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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