जम्मू 4 फरवरी (Udaipur Kiran) । प्रमुख आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता बलविंदर सिंह ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा और समाज कल्याण मंत्री सकीना मसूद इटू से मुलाकात की जिसमें प्रमुख स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों पर चर्चा की गई। और रोगी देखभाल प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव रखा गया।
बैठक के दौरान सिंह ने कई सिफारिशें प्रस्तुत किए जिनमें शामिल हैं रोगियों के लिए पौष्टिक आहार सुनिश्चित करना, रोगियों को अंडे और दूध सहित पौष्टिक भोजन प्राप्त करने की गारंटी देने के लिए नई निविदा प्रक्रिया में सख्त शर्तें पेश करना। आहार वितरण में पारदर्शिता बढ़ाना, भोजन के उचित वितरण को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी लागू करना। डॉक्टरों के लिए ग्रामीण पोस्टिंग को प्रोत्साहित करना, ग्रामीण पोस्टिंग को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए परिधीय क्षेत्रों में सेवारत डॉक्टरों के लिए आवास किराया को दोगुना करना। डॉक्टरों के लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर और सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले डॉक्टरों के लिए पाँच साल की अनिवार्य सेवा बांड की शुरुआत उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है इसलिए उन्हें वहाँ उपलब्ध होना चाहिए जहाँ उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा पहुँच सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य पेशेवरों की चल रही कमी को दूर करना। सिंह ने पीएचसीए सीएचसीए एसडीएचए डीएच और जीएमसी जम्मू जैसे मौजूदा स्वास्थ्य संस्थानों से 1.3 किमी और 8 किमी के बीच स्थित 15 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करने की भी माँग की। उन्होंने इन यूएचसी को प्रभावशाली व्यक्तियों के पुनर्वास केंद्र के रूप में नामित कियाए आरटीआई डेटा का हवाला देते हुए दिखाया कि कुछ डॉक्टर इन यूएचसी में 10 से 25 वर्षों से तैनात हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है। इसके परिणामस्वरूप दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों को इलाज के लिए 50 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सिंह ने सीमित उपयोगिता के बावजूद दो से तीन चिकित्सा अधिकारियों और 5.10 कर्मचारियों वाले यूएचसी पर लाखों रुपये के अनावश्यक खर्च की सरकार की आलोचना की। सिंह ने डॉक्टरों की कमी के संबंध में माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में लंबित अपनी याचिका के बारे में भी मंत्री को जानकारी दी। उन्होंने 2018 में आरटीआई के तहत जानकारी प्राप्त करने के बाद यह याचिका दायर की जिसमें जम्मू क्षेत्र में 50 से 55 चिकित्सा अधिकारियों की कमी और गैर-राजपत्रित और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की 35प्रतिशत कमी का खुलासा हुआ।
इसके अतिरिक्त सिंह ने आरटीआई डेटा का हवाला देते हुए राज्य संचालित अस्पतालों के भीतर अमृत फार्मेसियों में दवाओं की अत्यधिक कीमतों पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने सरकारी ई.मार्केटप्लेस के माध्यम से खरीद में अनियमितताओं को भी चिह्नित किया जिससे आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों के बीच सांठगांठ का पर्दाफाश हुआ जिन्होंने कथित तौर पर प्रचलित बाजार मूल्यों से अधिक दरों पर वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रक्रिया में हेरफेर किया।
मंत्री सकीना मसूद इटू ने आरटीआई कार्यकर्ता को आश्वासन दिया कि उनकी सिफारिशों की गहन जांच की जाएगी और स्वास्थ्य सेवा वितरण और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए लाभकारी किसी भी उपाय को लागू करने पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / मोनिका रानी
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