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शिवनाथ नदी प्रदूषण मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नया हलफनामा प्रस्तुत करने दिया निर्देश

चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल

बिलासपुर, 3 फ़रवरी (Udaipur Kiran) ।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शिवनाथ नदी में शराब फैक्ट्री के वेस्ट से प्रदूषण को लेकर स्वत संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। सोमवार को इस पूरे मामले में एक बार फिर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान प्रश्नगत नदी के संबंध में पानी की रिपोर्ट के साथ छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल से एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पिछली सुनवाई में हाइकोर्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल से इसके साथ-साथ अन्य उद्योगों पर कड़ी और नियमित निगरानी रखने तथा इस तरह की घटना दोबारा नहीं होने का जवाब पेश करने कहा था। जिसका जवाब पेश किया गया है। वहीं कोर्ट में रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी दी गई कि प्रश्नगत नदी का पानी साफ है और प्रदूषित नहीं है। इस मामले में शासन का पक्ष उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने रखा है।

दरअसल न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और तथा 20 जुलाई 2024 को एक अखबार में प्रकाशित समाचार के आधार पर इस जनहित याचिका को पंजीकृत करने का निर्देश दिया था। इस मीडिया समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम मोहभट्टा-धूमा, जिला मुंगेली में स्थित मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से उत्सर्जित/निस्तारित होने वाले प्रदूषक पर्यावरण एवं आस-पास के क्षेत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। मेसर्स भाटिया वाइन की औद्योगिक गतिविधियों से लगभग 20,000 लोगों की पूरी आबादी प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यद्यपि विभिन्न पर्यावरण अधिनियमों के तहत घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों को उपचार के बाद ही निस्तारित करने का प्रावधान है। जिसका उल्लंघन उक्त उद्योग द्वारा किया जा रहा है। जहरीले अपशिष्टों के कारण 350 एकड़ से अधिक धान की फसल प्रभावित हुई है। इन अपशिष्टों की दुर्गंध ने आसपास के लोगों का जीवन दूभर कर दिया है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, खुजली, आंखों में जलन, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो रही है। पुलिस ने मौके से पानी का नमूना भी लिया था। समाचार रिपोर्ट में बहुत ही चिंताजनक और भयावह स्थिति को दर्शाया गया कि फैक्ट्री से सटे पुलिया में छः कोर्ट के अपशिष्टों के छोड़े जाने के कारण लाखों मछलियाँ मर गई हैं, जो आगे शिवनाथ नदी में मिलकर नदी को प्रदूषित कर रही है।

महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत के साथ-साथ राज्य तथा प्रतिवादियों के लिए उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के वकील अमृतो दास, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के वकील अभिषेक ने अपना पक्ष रखा। इस जनहित याचिका की 23अक्टूबर 2024 को सुनवाई के बाद पक्षों को न्यायालय ने निर्देशित किया और लम्बी जांच प्रक्रिया की गई। न्यायालय की निगरानी में लगातार इस मामले की सुनवाई में 16 दिसंबर 2024 को कोर्ट में दिए हलफनामा में कहा गया कि इसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत फैक्ट्री से दूषित पानी कहाँ से बह रहा है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन सुधारात्मक उपाय किए जाने और फैक्ट्रियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर के अधिकारियों ने खजरी नाला, शिवनाथ नदी में नाला संगम बिंदु, शिवनाथ नदी और आर.ओ. दिनांक 21 नवंबर 2024 और 04दिसंबर 2024 को मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट के आउटलेट पानी में क्रमशः 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी पाया । दोनों ही सैंपलिंग तिथियों के दौरान, खजीरी नाले में पानी बह नहीं रहा था, बल्कि स्थिर था। इस सुनवाई में हाइकोर्ट में क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इसके साथ-साथ अन्य उद्योगों पर कड़ी और नियमित निगरानी रखने, ताकि इस तरह की घटना दोबारा नहीं होने का जवाब पेश किया था। वहीं कोर्ट में रिपोर्ट के माध्यम से कहा कि प्रश्नगत नदी का पानी साफ है और प्रदूषित नहीं है। इसे देखते हुए मामले को 3 फरवरी, 2025 को आगे की निगरानी के आदेश और प्रश्नगत नदी के संबंध में पानी की रिपोर्ट के साथ छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल के सचिव को एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। जिसे 3 फरवरी 2025 को सोमवार को पेश किया गया है। वहीं अगली सुनवाई 2 अप्रैल 2025 को तय की गई है।

(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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