Bihar

बिहार में मुजफ्फरपुर एसएसपी को मानवाधिकार आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का नोटिस

-मामला एसकेएमसीएच परिसर में नवजात शिशु को कुत्तों के द्वारा खाये जाने का

पटना/मुजफ्फरपुर, 03 फरवरी (Udaipur Kiran) । बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में नवजात शिशु को कुत्तों के द्वारा खाये जाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुजफ्फरपुर को सशर्त सम्मन जारी किया है।

आयोग ने एसएसपी मुजफ्फरपुर को सदेह उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी करते हुए कहा कि यदि पूरी जांच रिपोर्ट 12 मार्च से पूर्व आयोग को प्राप्त हो जाये तो सदेह उपस्थिति को टाला जा सकता है।

बीते वर्ष 15 मई को श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मुख्य द्वार पर एक नवजात बच्चे को कुत्तों के द्वारा नोच-नोचकर खाया जा रहा था। कुत्ते घंटों तक नवजात बच्चे को नोचते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन या पुलिस की ओर से कोई पहल नहीं हुई। यहां तक कि अस्पताल के गार्ड भी तमाशबीन बने रहे।

मानवाधिकार अधिवक्ता एस के झा ने राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार आयोग में इन सभी मामलों में याचिका दायर की थी और मामले की गंभीरतापूर्वक जांच करते हुए दोषियों पर कठोर-से-कठोर कार्रवाई की मांग की थी। उसके बाद मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर को नोटिस जारी किया था, जिसके बाद जिले की प्रशासनिक व्यवस्था मामले को लेकर सक्रिय हो गई।

इस पूरे मामले में अहियापुर थाने में तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई। जो अहियापुर थाना कांड संख्या 75/24, 1429/24 तथा 1500/24 हैं। उसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तीनों प्राथमिकी की वर्तमान स्थिति और जांच के बारे में मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन से लगातार रिपोर्ट मांग रही है। लेकिन मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन द्वारा आयोग को रिपोर्ट नहीं नहीं दिया जा रहा है। उसके बाद 3 फरवरी यानी सोमवार को आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए एसएसपी मुजफ्फरपुर को सदेह उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी किया है।

आयोग ने कहा कि यदि पूरी जांच रिपोर्ट 12 मार्च से पूर्व आयोग को प्राप्त हो जाये तो सदेह उपस्थिति को टाला जा सकता ह। अन्यथा एसएसपी मुजफ्फरपुर स्वयं उपस्थित होकर जबाव देंगे। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सख़्ती के बाद पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मची हुई है।

मामले के सम्बन्ध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया कि यह पूरा मामला काफी हृदय विदारक है तथा मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है। इस पुरे मामले की गंभीरतापूर्वक व गहनतापूर्वक जांच की नितांत आवश्यकता है और इस प्रकार के मामले में डीएम और एसएसपी को अपने स्तर से सुधार के लिए हेतु प्रयास करना चाहिए। मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।

—————

(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी

Most Popular

To Top