Uttar Pradesh

भारतीय रेल में विद्युतीकरण के 100 साल पूरे, बरेका में तीन फरवरी से विशेष प्रदर्शनी

फोटो प्रतीक

—सूर्य सरोवर परिसर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन, प्रदर्शनी में विद्युतीकरण के ऐतिहासिक पड़ाव प्रदर्शित होंगे

वाराणसी, 01 फरवरी (Udaipur Kiran) । भारतीय रेलवे के विद्युतीकरण के सौ वर्ष पूरे होने पर बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में विशेष प्रदर्शनी के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। परिसर स्थित सूर्य सरोवर में तीन से पॉच फरवरी के बीच आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में रेलवे विद्युतीकरण की विकास यात्रा, भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ और भविष्य की योजनाओं को प्रदर्शित किया जायेगा।

महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने रेलवे विद्युतीकरण के सौ वर्षों की यात्रा को भारतीय रेलवे के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि रेलवे विद्युतीकरण के 100 वर्षों की यह यात्रा, भारतीय रेल के आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर बढ़ते कदमों को दर्शाती है। बरेका इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा है।

प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर सुशील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युतीकरण ने भारतीय रेलवे को आधुनिक, तेज और ऊर्जा-संवेदनशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदर्शनी में रेलवे के गौरवशाली सफर को प्रस्तुत किया जाएगा।

जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि विशेष प्रदर्शनी में विद्युतीकरण के ऐतिहासिक पड़ाव, लोकोमोटिव का विकास, ऊर्जा दक्षता और रेलवे विद्युतीकरण की तकनीकी प्रगति को आकर्षक मॉडलों, डिजिटल डिस्प्ले और दस्तावेजों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विद्युत संकर्षण या कर्षण तकनीकी का भारतीय रेल यातायात में उपयोग करने के लिए रेल विद्युतीकरण प्रणाली की आवश्यकता पड़ी। विद्युत कर्षण में भारी परिवहन वाहनों जैसे कि ट्रेन, ट्राम आदि को कुशलतापूर्वक एवं पर्यावरण अनुकूल चलाने के लिए विद्युत शक्ति का उपयोग होता है। इस तकनीकी में लोकोमोटिव (रेल इंजन) में लगी भारी इलेक्ट्रिक मोटरें यातायात परिवहन के लिए शक्ति प्रदान करती है, जिनकी उर्जा का स्त्रोत ओवर हेड लाइनें या तीसरी रेल या ऑनबोर्ड बैटरी प्रणाली है।

—पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 03 फरवरी 1925 को चली

भारतीय रेल में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 03 फरवरी 1925 को बाम्बे विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) और कुर्ला हार्बर लाइन पर चलायी गयी थी। इस ट्रेन को 1500 V डीसी से विद्युतीकृत किया गया था। इसे तत्कालीन मुम्बई गवर्नर सर लेस्ली विल्सन ने हरी झंडी दिखाई थी। लगभग 1960 के आस-पास भारतीय रेल में 25 केवी एसी कर्षण प्रणाली की शुरुआत हुई तथा 1990 के दशक अन्त में 2×25 केवी एसी कर्षण प्रणाली के संयंत्र लगाये जाने लगे। आज भारतीय रेल के 66,500 बीजीकेएम में से 64,600 बीजीकेएम के रेलमार्ग (लगभग 97 फीसद) विद्युतीकृत किये जा चुके हैं। 18 में से 12 रेल जोन पूर्ण रूप से विद्युतीकृत किया जा चुका है। आज भारतीय रेल में विद्युत कर्षण तकनीकी से वंदे भारत ट्रेन, अमृत भारत ट्रेन, डब्ल्यूएपी-7, डब्ल्यूएजी-9, डब्ल्यूए-12, मेट्रो आदि रेल इंजनों का परिचालन हो रहा है, जिससे कि लाखों यात्रियो का आवागमन और करोड़ों टन माल ढुलाई में सुविधा हुई है एवं इसमें दिन प्रतिदिन उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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