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खुदरा, ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स को केंद्रीय बजट 2025-26 से अपेक्षाएं

क्विक कॉमर्स के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र

-नीतिगत बदलाव के साथ खुदरा, ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के भविष्य को आकार देना

नई दिल्ली, 31 जनवरी (Udaipur Kiran) । देश में डिजिटल युग के इस दौर में तेजी से विकसित हो रहे डिलीवरी मॉडल क्विक कॉमर्स (क्यू-कॉमर्स) पिछले तीन-चार वर्षों में युवा आबादी के बीच एक पहचान बन गया है। भारत की विशाल जनसंख्‍या को देखते हुए क्यू-कॉमर्स में 300 फीसदी तक की वार्षिक वृद्धि दर देखना आश्चर्यजनक नहीं होगा, जो तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र का एक उपसमूह है। क्विक कॉमर्स को भी केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण से 01 फरवरी को संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 से कई उम्‍मीदें हैं।

क्विक कॉमर्स क्षेत्र ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि सरकार को ऐसा माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है जहां व्यवसाय फल-फूल सके। इस क्षेत्र से संबंधित लोगों का कहना है कि केंद्रीय बजट में पेश की गई मजबूत ई-कॉमर्स नीति, उद्योग की दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करेगी और सतत विकास के लिए मंच भी तैयार करेगी। इनका कहना है कि वित्‍त मंत्री केंद्रीय बजट 2025-26 में पारदर्शिता, प्रामाणिकता और निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करके, नीति उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच समान रूप से विश्वास पैदा कर सकती है।

आगामी केंद्रीय बजट से इस उद्योग की उम्मीदें बहुत ज्‍यादा हैं। हितधारकों को ऐसी नीति रूपरेखा की उम्मीद है, जो नवाचार को बढ़ावा दे, प्रोत्साहित करे। पारंपरिक ई-कॉमर्स के विपरीत क्यू-कॉमर्स दैनिक उपभोक्ता जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे इसकी वृद्धि उल्लेखनीय हो जाती है। क्यू-कॉमर्स ने अपनी शुरुआत शून्य से की थी। युवा उपभोक्ताओं के प्राप्त सहज अनुभव इस उद्योग के लिए एक प्रमुख विकास चालक रहा है।

ई-कॉमर्स और क्यू-कॉमर्स दोनों ही अलग-अलग तरीकों से उपभोक्ताओं की खरीदारी के तरीके को फिर से परिभाषित कर रहे हैं।

ई-कॉमर्स विविधता और लागत-प्रभावशीलता को प्राथमिकता देता है, जबकि क्यू-कॉमर्स गति और सुविधा पर जोर देता है। इन मॉडलों का विकास व्यवसायों के लिए ग्राहक संतुष्टि, परिचालन दक्षता और स्थिरता को संतुलित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। खुदरा क्षेत्र द्वारा अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने से व्यवसाय संचालन को अनुकूलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस मॉडल को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को शामिल करने के लिए और विकास की आवश्यकता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी उच्च मूल्य वाली वस्तुओं के लिए आसान खरीद विकल्प सक्षम हो सकें। इस पारिस्थितिकी तंत्र में एनबीएफसी को एकीकृत करने से मूल्यवर्धित सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी जो पूरे खुदरा क्षेत्र में विकास को गति दे सकती हैं।

इसके अतिरिक्त उन्होंने ऑनलाइन रेटिंग और समीक्षाओं में प्रामाणिकता की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वास्तविक ग्राहक अनुभव को दर्शाते हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भ्रामक विज्ञापनों को भी एक गंभीर चिंता के रूप में पहचाना गया है। डिजिटल मार्केटप्लेस में विश्वास और अखंडता बनाए रखने के लिए उन्हें समाप्त करने का आह्वान किया गया है। केंद्रीय बजट में लंबे समय से लंबित नीतिगत मुद्दों को संबोधित करने का अवसर है, जबकि ई-कॉमर्स नीति के मसौदे पर चर्चा लगभग समाप्त हो गई है, अंतिम प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार है।

उल्‍लेखनीय है कि भारत की अपार संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा बड़े खिलाड़ी क्यू-कॉमर्स क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। यहां तक ​​कि संगीता जैसे विशेष खुदरा विक्रेताओं ने भी रिकॉर्ड समय में मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य उपकरणों जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स वितरित करने के लिए भौतिक स्टोर को त्वरित वाणिज्य के साथ अभिनव रूप से अपने को जोड़ा है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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