
नई दिल्ली, 31 जनवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि सरकार ने सिंचाई सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए सिंचाई विकास और जल संरक्षण प्रथाओं को प्राथमिकता दी है। वित्त वर्ष 2015-16 और वित्त वर्ष 2020-21 के बीच सिंचाई क्षेत्र का कवरेज सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) के 49.3 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जबकि सिंचाई तीव्रता 144.2 प्रतिशत से बढ़कर 154.5 प्रतिशत हो गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 से सरकार जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के एक घटक प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2024-25 (दिसंबर 2024 के अंत तक) तक पीडीएमसी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को ₹ 21968.75 करोड़ जारी किए गए और इसके तहत 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया, जो कि पीडीएमसी से पहले की अवधि की तुलना में लगभग 104.67 प्रतिशत अधिक है।
सूक्ष्म सिंचाई निधि
सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ) राज्यों को एमआईएफ के तहत लिए गए ऋणों पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के माध्यम से अभिनव परियोजनाओं का समर्थन करती है। ₹4709 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से अब तक ₹3640 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं।
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी) कार्यक्रम को वित्त वर्ष 2015 से राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के हिस्से के रूप में कृषि प्रणालियों के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के विकास और संरक्षण के लिए लागू किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022 से आरएडी योजना को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) में एकीकृत किया गया है। अब तक, आरएडी कार्यक्रम के तहत 8.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए ₹1,858.41 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
जैविक खेती
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जैविक खेती का समर्थन करने के लिए सरकार ने 2015 से दो समर्पित योजनाओं को लागू किया है- परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर)। पीकेवीवाई के तहत, 14.99 लाख हेक्टेयर और 25.30 लाख किसानों को कवर करने वाले 52,289 क्लस्टर जुटाए गए हैं। इसी तरह एमओवीसीडीएनईआर के तहत 434 किसान उत्पादक कंपनियां बनाई गई हैं, जो कुल 1.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती हैं और 2.19 लाख किसानों को लाभान्वित करती हैं।
सहकारी समितियां
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में सहकारी समितियां कृषि, ऋण और बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। सहकारी क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए भारत सरकार ने कई रणनीतिक पहलों को लागू किया है। इनमें प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के लिए विशेष रूप से मॉडल उप-नियमों की शुरुआत शामिल है, जो उनके संचालन के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट की स्थापना और सहकारी समितियों के भीतर माइक्रो-एटीएम की स्थापना जैसे उपायों का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच को सुविधाजनक बनाना है। इसके अलावा, विशेष रूप से डेयरी सहकारी समितियों के लिए रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने का उद्देश्य इन संस्थाओं और उनके सदस्यों की वित्तीय क्षमताओं में सुधार करना है।
अल्पसेवित पंचायतों में 9,000 से अधिक नई पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की गई हैं, जिन्हें विभिन्न संघों से समर्थन प्राप्त हुआ है। अधिक पहुंच के लिए सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में, 240 पैक्स ने खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 39 को वर्तमान में संचालन के लिए चुना गया है, इस प्रकार उनकी सेवा पेशकशों का विस्तार हुआ है। इसके अलावा, एक बड़ी संख्या-35,293 पैक्स-अब प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में कार्य कर रहे हैं। जो किसानों को आवश्यक उर्वरक और संबंधित सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित हैं और सीधे कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, 1,723 माइक्रो-एटीएम वितरित किए गए हैं, जो दरवाजे पर वित्तीय सेवाओं की सुविधा प्रदान करते हैं और ग्रामीण आबादी के लिए पहुंच बढ़ाते हैं।
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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव
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