Uttar Pradesh

महाकुंभ: प्रयागराज से लौट रहे श्रद्धालुओं की सेवा के लिए आगे आ रहे युवा

तीर्थ पुरोहित के आश्रय स्थल

सेवा भाव की दिखी झलक,अस्सी घाट के तीर्थ पुरोहित भी अन्नदान कर रहे

वाराणसी,31 जनवरी (Udaipur Kiran) । प्रयागराज महाकुंभ से लाखों श्रद्धालुओं के काशी पलट प्रवाह को देख उन्हें नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराने के लिए अस्सीघाट के तीर्थ पुरोहितों ने बड़ी पहल की है। वहीं,भाजपा काशी क्षेत्र के अध्यक्ष दिलीप पटेल और जिलाध्यक्ष एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने भोजन और नाश्ता वितरण शुरू कर दिया है। एक बार फिर कोरोना काल वाले सेवाभाव की झलक काशी में दिखने लगी है। काशी की कहावत यहां माता अन्नपूर्णा , माँ गंगा और बाबा विश्वनाथ की कृपा से कोई भी भूखा नही सोता। इस कहावत को चरितार्थ करने के लिए लोग आगे आ रहे है। तीर्थ पुरोहित श्रवण मिश्रा और बलराम मिश्र प्रतिदिन 1000 से अधिक लोगों को भोजन करा रहे हैं। इसमें श्रद्धालुओं के साथ निराश्रित, भिखारी भी शामिल है। दोनों तीर्थ पुरोहितों ने कोरोना काल में भी अस्सी घाट पर रहने वाले निराश्रितों को भोजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया था। तीर्थ पुरोहितों ने बना हुआ भोजन घाट किनारे रहने वाले निराश्रितों, भिखारियों और गरीब तबके के मुहैया कराया था। अब एक बार फिर दोनों महाकुंभ के दौरान नि:स्वार्थ भाव से लोगों को भोजन करा रहे हैं।

अस्सी घाट के तीर्थ पुरोहित बलराम मिश्रा का परिवार बलिया से यहां आ कर बसा। छठवीं पीढ़ी के बलराम मिश्रा अस्सी घाट पर कर्मकांड का कार्य करते हैं । साथ ही दशकों से शाम की दैनिक गंगा आरती भी अपने साथियों के साथ संचालित करते हैं । बलराम मिश्रा बताते हैं कि घाट पर बहुत से दैनिक मजदूर , निराश्रित और भिक्षुक सीढ़ियों पर ही अपनी रात बिताते हैं। हमारा यह गिलहरी प्रयास है कि कुछ लोगों को हम भोजन करा सकें। महाकुंभ तक हमने संकल्प लिया है कि सभी श्रद्धालुओं को भोजन कराएंगे। प्रतिदिन 1000 से अधिक लोग भोजन कर रहे हैं। इसमें हमारा सहयोग भी तमाम सामाजिक लोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह सेवा मां गंगा कर रही है। इतने लोग के भोजन का प्रबंध कैसे हो रहा है,यह मुझे भी नहीं समझ में आता है ।

दर्जनों बच्चों को नि:शुल्क पढ़ने की सुविधा,प्रतिदिन दोपहर और शाम हजारों जरूरतमंदों को भोजन,महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के रहने के लिए आश्रय स्थल काशी के अस्सी घाट पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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