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महाकुम्भ : मौनी अमावस्या पर संगम स्नान के बाद पूजा अर्चना और दान-पुण्य जारी 

पूजा अर्चना और दान-पुण्य

महाकुम्भनगर, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । महाकुम्भ का दूसरा अमृत स्नान आज है। मौनी अमावस्या के दिन किया जाने वाला यह स्नान धार्मिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा जाता है, ऐसे में महाकुम्भ के दूसरे अमृत स्नान के दिन डुबकी लगाने से भक्तों को कई शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। स्नान के बाद दान-पुण्य और मौन व्रत रखना भी आज के दिन धार्मिक दृष्टि से कल्याणकारी है। हिंदू पंचांग के अनुसार अमृत स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 6 बजकर 18 मिनट तक है। गौरतलब है कि, कड़ी सुरक्षा के बीच बड़ी संख्या में भक्त त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं।

महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान पर बने हैं ये शुभ योग

पण्डित अवधेश मिश्र शास्त्री ने बताया कि, महाकुम्भ के दिन दूसरे अमृत स्नान के दिन त्रिग्रही योग बना है। इस दिन सूर्य-बुध और चंद्रमा मकर राशि में एक साथ विराजमान हैं। इसके साथ ही शिववास योग भी दूसरे अमृत स्नान के दिन बना हुआ है। इन शुभ योगों में स्नान-दान करने से महा पुण्य की प्राप्ति होगी।

मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दिन क्या करना शुभ

ज्योतिषाचार्य राकेश त्रिपाठी ने बताया कि, आप चाहें प्रयागराज में त्रिवेणी घाट में डुबकी लगाएं चाहे घर पर ही व्रत और पूजन करें, कुछ कार्य आपके लिए बेहद शुभ फलदायी इस दिन हो सकते हैं। इस दिन आपको सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। पितरों को स्मरण करते हुए ’ॐ पितृ देवतायै नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। तुलसी के पास दीपदान करने के साथ ही इस दिन कुछ समय के लिए मौन रहना चाहिए। इन कार्यों को करने से शुभ फल आपको प्राप्त होगा।

उन्होंने बताया कि, मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, तिल और चावल का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर खुश होते हैं। इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही गंगाजल में पानी डालकर स्नान कर लें। इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन खिलाना शुभ माना जाता है। यह पितरों को प्रसन्न करता है।

मकर संक्रांति से अब तक 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालु लगा चुके हैं डुबकी

महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी के दिन पूर्णिमा के स्नान से हुई थी। तब से अब तक प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी घाट में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं।

(Udaipur Kiran) / Dr. Ashish Vashisht

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