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शरीयत की जगह सामान्य सिविल कानून लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 28 जनवरी (Udaipur Kiran) । मुस्लिम परिवार में जन्म के बावजूद नास्तिक व्यक्ति पर क्या शरीयत की जगह सामान्य सिविल कानून लागू हो सकते हैं? इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 5 मई को करने का आदेश दिया।

दरअसल, केरल की सोफिया पीएम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मांग की है कि मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बावजूद मुस्लिम पर्सनल लॉ का पालन नहीं करने वालों पर भारतीय उत्तराधिकार एक्ट 1925 लागू होना चाहिए। भारतीय उत्तराधिकार एक्ट की धारा 58 मुसलमानों पर लागू नहीं होता (चाहे वह खुद को नास्तिक भी क्यों मानते हों) है। याचिकाकर्ता सोफिया पीएम का परिवार नास्तिक है, लेकिन शरीयत प्रावधान के चलते पिता चाहते हुए भी उसे एक तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे पा रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उसे धर्म का अधिकार और साथ ही धर्म पर विश्वास न करने का भी अधिकार मिले। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को न मानने वालों पर देश का धर्मनिरपेक्ष कानून लागू होना चाहिए।

(Udaipur Kiran) /संजय———–

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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