कोलकाता, 28 जनवरी (Udaipur Kiran) ।
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज वित्तीय अनियमितता मामले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ आरोप तय करने और उसके बाद मुकदमे की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी कर दिया है।
संदीप घोष को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मेडिकल संस्थान में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था। मंगलवार को कोलकाता उच्च न्यायालय की एकल पीठ न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष को सीबीआई के वकील ने यह जानकारी दी।
न्यायालय ने निर्देश दिया है कि एक सप्ताह के भीतर आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और मुकदमा शुरू किया जाए। इसके साथ ही, मंगलवार को सीबीआई ने अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय को सौंपी। सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि जांच अंतिम चरण में है।
इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रहा है। सीबीआई ने जहां अदालत के आदेश पर जांच शुरू की थी, वहीं ईडी ने स्वत: कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज कर अपनी जांच शुरू की।
सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में कुल पांच लोगों के नाम शामिल हैं। इनमें संदीप घोष, उनके सहायक और अंगरक्षक अफसर अली, निजी ठेकेदार बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा तथा एक जूनियर डॉक्टर आशीष पांडे शामिल हैं। ये सभी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
इन पर आरोप है कि आरजी कर में टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर, भारी कमीशन लेकर राज्य लोक निर्माण विभाग को दरकिनार कर निजी ठेकेदारों से इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम करवाना, अस्पताल से बायो-मेडिकल कचरे की तस्करी करना और शवागार में पोस्टमार्टम के लिए आए अज्ञात शवों के अंगों को खुले बाजार में ऊंची कीमत पर बेचना शामिल है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
