कोलकाता, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । दक्षिण 24 परगना के जयनगर में एक नाबालिका से दुष्कर्म और हत्या के दोषी मुस्ताकिन सरदार द्वारा फांसी की सजा रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में दायर अपील को सोमवार को स्वीकार कर लिया गया। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशिदी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान निचली अदालत को पेपरबुक तैयार करने का निर्देश दिया।
बारुईपुर की अतिरिक्त जिला और फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पिछले वर्ष दिसंबर में मुस्ताकिन सरदार को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। मुस्ताकिन के वकील ने इस सजा को चुनौती देते हुए दलील दी कि मामले की जांच और सुनवाई में कई खामियां हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जिस तरह से अदालत ने इसे ‘दुर्लभतम’ मामला मानकर फांसी की सजा दी, वह अनुचित है, क्योंकि इसी तरह के अन्य मामलों में अदालतें इसे ‘दुर्लभतम’ नहीं मानतीं।
खंडपीठ ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह मामले की पेपरबुक तैयार करे, जिसमें जांच से लेकर फैसला सुनाए जाने तक की सभी घटनाओं का विस्तार से उल्लेख हो। इसके अलावा, अदालत ने निचली अदालत द्वारा दोषी पर लगाए गए 50 हजार रुपये के जुर्माने पर भी रोक लगा दी है।
पिछले वर्ष चार अक्टूबर को जयनगर थाना क्षेत्र के एक तालाब से नौ साल की बच्ची का शव बरामद किया गया था। बच्ची उस दिन ट्यूशन पढ़ने गई थी और वापस घर नहीं लौटी। रात में उसकी लाश घर के पास एक जलजमीन में मिली। इस घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया।
पांच अक्टूबर को जयनगर पुलिस ने आरोपित मुस्ताकिन सरदार को गिरफ्तार किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। घटना के एक महीने के भीतर, पांच दिसंबर को अदालत ने आरोपित को दोषी ठहराया और छह दिसंबर को उसे फांसी की सजा सुनाई। पूरी जांच और सुनवाई प्रक्रिया मात्र 64 दिनों में पूरी की गई।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर