Haryana

सोनीपत: डा.सन्तराम देशवाल को पद्मश्री पुरस्कार-2025 मिलने पर किया सम्मानित 

27 Snp-1  सोनीपत: पद्मश्रीडॉ संतराम देशवाल भाजपा जिलाध्यक्ष जसबीर दोदवा ने उनके घर पर सम्मानित         करते हुए।

-भाजपा जिलाध्यक्ष जसबीर दोदवा ने उनके घर पर जाकर उनका सम्मान

किया और आशीर्वाद प्राप्त किया

सोनीपत, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । भाजपा

जिलाध्यक्ष जसबीर दोदवा ने कहा कि भारत सरकार ने सोनीपत से डॉ संतराम देशवाल को साहित्य

एवं शिक्षा के श्रेत्र में पद्मश्री पुरस्कार-2025 से सम्मानित करने की घोषणा की है।

देश का सर्वोच्च सम्मान मिलना जिला सोनीपत के लिए गौरव की बात है। सोमवार को भाजपा

जिलाध्यक्ष ने डॉ संतराम देशवाल के घर जाकर उनका सम्मान किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त

किया।

उन्होंने

कहा कि डॉ संतराम देशवाल को पद्मश्री देने के लिए मैं भारत सरकार और विशेषत: प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी तथा इस पुरस्कार से संबद्ध सभी जनों का हृदय से धन्यवाद करता हूं। हरियाणा

के मुख्यमंत्री नायब सैनी जी आभार प्रकट करता हूं। इस मौके पर एसडीएम वीरेंद्र सांगवान,

आशीष सरपंच, अमित पिनाना और राकेश पिनाना मौजूद रहे। डॉ.

संतराम देशवाल ने अपने जीवन की यादों को ताजा किया और बताया कि कविता, संस्मरण, जीवनी

व यात्रा वृत्तांत जैसी 30 से ज्यादा कविता लिखी हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब

सैनी ने भी पद्मश्री अवॉर्ड मिलने पर शुभकामनाएं दी हैं। उनका जन्म 24 अप्रैल 1955

को हुआ था। डॉ. संतराम को उनके पढ़ने की जिद व समाज सेवा ने पद्मश्री सम्मान दिलाया।

तीन साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। पिता के बाद मां ने उनके समेत

आठ बच्चों की परवरिश की। पढ़ने के लिए उन्होंने अपना घर छोड़ा। घर से 15 किमी दूर कभी

पैदल तो कभी साइकिल से जाकर स्नातक बीए तक पढ़ाई की। अपने सहयोगियों से आर्थिक मदद

ली अपना पैतृक गांव खेड़का गुज्जर (झज्जर) छोड़कर रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी

आए। अंग्रेजी में एमए, एलएलबी हिंदी में एमए, एमफील, पीएचडी अनुवाद और जर्मन में डिप्लोमा

किया। 70 साल की उम्र तक पढ़ाई की । उनकी

रचनाओं के लिए एक दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं। इसमें महाकवि सूरदास आजीवन

साधना सम्मान, लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान और जनकवि मेहर सिंह पुरस्कार शामिल हैं।

साहित्यकार डॉ. चंद्र त्रिखा की प्रेरणा से हरियाणा संस्कृति और कला नामक रचना लिखी। इसके बाद तो कविता, संस्मरण, यात्रा

वृतांत और ललित निबंध लिखने का सिलसिला शुरू हो गया।

(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना

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