West Bengal

कोलकाता के बोसपुकुर में फिर झुकी इमारत, बढ़ा नगर निगम के भवन विभाग पर दबाव

कोलकाता के बोसपुकुर में फिर झुकी इमारत

कोलकाता, 27 जनवरी (Udaipur Kiran) । कोलकाता के अलग-अलग वार्डों में झुकी इमारतों के मामलों से चिंता बढ़ती जा रही है। बाघाजतीन, टेंगरा और तपसिया के बाद अब बोसपुकुर में भी ऐसी ही समस्या सामने आई है। सोमवार सुबह बोसपुकुर के बेदियाडांगा मस्जिद घर लेन में दो बहुमंजिली इमारतों के एक-दूसरे की ओर झुकने की खबर ने इलाके में दहशत फैला दी।

कोलकाता नगर निगम के सूत्रों के मुताबिक, ये इमारतें वार्ड 67 में स्थित हैं। रविवार 26 जनवरी को छुट्टी होने के कारण कोई कदम नहीं उठाया जा सका, लेकिन सोमवार को नगर निगम का प्रतिनिधि दल इन इमारतों का निरीक्षण करेगा। भवन विभाग के इंजीनियरों की टीम को इन बहुमंजिला इमारतों की स्थिति का जायजा लेने भेजा जाएगा। वार्ड 67 के पार्षद बिजन मुखर्जी ने इस समस्या की जानकारी मिलने के बाद इसे नगर निगम के मुख्यालय तक पहुंचाया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, ये दोनों बहुमंजिली इमारतें काफी पुरानी हैं और पिछले चार सालों से एक-दूसरे की ओर झुकी हुई हैं। इस दौरान दीवारों में दरारें लगातार बढ़ती रहीं, जो हाल ही में और गंभीर हो गई हैं। हालांकि, अब तक इस मामले में नगर निगम को कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी इमारतें होने के कारण इनकी संरचना कमजोर हो गई है। इसके अलावा, भूजल स्तर में बदलाव, निम्न गुणवत्ता वाले निर्माण कार्य और उचित रख-रखाव की कमी भी इस समस्या के बड़े कारण हो सकते हैं। शहर में अवैध निर्माण भी ऐसी समस्याओं को जन्म दे रहा है।

गत वर्ष मार्च में मेयर फिरहाद हकीम के विधानसभा क्षेत्र में एक बहुमंजिली इमारत के गिरने की घटना सामने आई थी, जिसमें निम्न गुणवत्ता की निर्माण सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगा था।

बोसपुकुर के स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे पहले से इस समस्या से अवगत थे लेकिन उन्होंने प्रशासन से शिकायत दर्ज कराने की आवश्यकता महसूस नहीं की। उनका मानना था कि नगर निगम खुद इस पर ध्यान देगा। हालांकि, अब दरारें बढ़ने के कारण उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।

नगर निगम के भवन विभाग ने झुकी हुई इमारतों को चिह्नित कर कार्रवाई की योजना बनाई है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकल सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन के सक्रिय हस्तक्षेप और स्थानीय निवासियों के सहयोग से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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