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वडोदरा की एक दुकान, जिसका मुनाफा गांधीजी को समाज सेवा के लिए भेजा जाता था

A shop in Vadodara, the profits from which were sent to Gandhiji for social service
A shop in Vadodara, the profits from which were sent to Gandhiji for social service
A shop in Vadodara, the profits from which were sent to Gandhiji for social service
A shop in Vadodara, the profits from which were sent to Gandhiji for social service

– भारत उद्योग हाट अभी भी वडोदरा के रावपुरा में संचालित हो रहा है

– स्वदेशी आंदोलन में खादी खरीदने के लिए लग गई थी लंबी कतार

वडोदरा/अहमदाबाद, 25 जनवरी (Udaipur Kiran) | आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वडोदरा शहर में एक दुकान आज भी चल रही है, जिसके मालिक अपना घरेलू खर्च निकालने के बाद बचा हुआ मुनाफा गांधीजी को भेजते थे। यह दुकान वडोदरा में पहली निजी खादी विक्रेता की थी। शहर के रावपुरा स्थित भारत उद्योग हाट नामक यह दुकान खादी और स्वदेशी वस्त्र प्रेम का प्रतीक है।

यह देशवासियों की आजादी के प्रति जुनून का गवाह है।

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत उद्योग हाट के बारे में जानना हर किसी को अच्छा लगेगा।

महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया था। इससे प्रेरित होकर छोटेलाल वसंतजी मेहता और उनके दो बेटों धीरजलाल और सुमनचंद्र ने 1930-32 के दौरान वडोदरा में खादी बेचना शुरू किया। बाद में, 1937 में उन्होंने दुकान शुरू की, जो वर्तमान में रावपुरा में स्थित है। इस दुकान का उद्घाटन करने के लिए रविशंकर महाराज स्वयं आये थे।

उस समय यह दुकान उचित मूल्य पर स्वदेशी खादी के लिए प्रसिद्ध थी। ऐसे में 1942 में गांधीजी के आह्वान पर जब हर जगह विदेशी वस्त्रों और वस्तुओं की होली होने लगी तो वडोदरा के भारत उद्योग हाट में खादी खरीदने के लिए कतारें लग गईं। 1942 में, इस स्टोर पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी, ठीक वैसे ही जैसे वॉलमार्ट की ब्लैक फ्राइडे सेल में खरीदारी करने के लिए ग्राहकों की कतारें लगती हैं। फिर एक ग्राहक को केवल तीन मीटर कपड़ा देने का नियम बनाया था।

बाद में छोटेलाल मेहता ने अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया और गांधीजी के साथ चले गए। रविशंकर महाराज ने सबसे बड़े बेटे धीरजलाल मेहता के लिए दुल्हन ढूंढने का काम भी किया। रविशंकर महाराज ने सौराष्ट्र के जेतपुर की प्रभाबेन से संबंध करा कर बारडोली में स्वयं विवाह समारोह सम्पन्न कराया था। इस अवसर पर गांधीजी भी आए थे और उन्होंने सभी को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराया।

ऐसी यादें छोटेलाल के परपोते 71 वर्षीय पुलकित मेहता और 63 वर्षीय संजय मेहता साझा करते हुए कहते हैं कि बाद में गांधीजी समेत कई गणमान्य लोग भारत उद्योग हाट में अक्सर आते थे।

मेहता परिवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने के लिए कई अनोखे निर्णय लिए। वह भारत उद्योग हाट से होने वाली आय में से अपने घरेलू खर्च का एक हिस्सा काटकर शेष राशि गांधीजी या अपनी पसंद के आश्रम को भेज देते थे। लगभग एक दशक तक आय का एक हिस्सा इसी माध्यम से भेजा जाता रहा। इस विषय पर गांधीजी से भी पत्राचार हुआ।

पुलकितभाई और संजयभाई आज भी वडोदरा शहर में यह दुकान चलाते हैं। उस दुकान का किसी भी प्रकार का नवीनीकरण नहीं हुआ है। भारत हाट वर्तमान में उसी स्थिति में चल रहा है, जैसा वह पहले था। विभिन्न प्रकार के खादी के गर्म कपड़े बेचता है। यदि आप भारत उद्योग हाट में जाएं तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि पुराने दिनों में दुकानें कैसी होती थीं।

(Udaipur Kiran) / हर्ष शाह

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