वाराणसी,24 जनवरी (Udaipur Kiran) । देश के स्वतंत्रता समर में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले धर्म नगरी काशी के शहीद बाबू जगत सिंह के अनकही सच के गौरव गाथा की गूंज पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है। सेवियर होलिस्टिक इंटरनेशनल ट्रस्ट कोलकाता ने बोलपुर शांति निकेतन स्थित अपने आरोग्य हॉस्पिटल में 40 बेड का वार्ड शहीद बाबू जगत सिंह के नाम पर बनवाया है और अस्पताल के मुख्यद्वार पर उनके नाम का अंग्रेजी व बंगला भाषा में शिलापट्ट भी लगवाया गया है। वार्ड और अस्पताल नेत्र रोगियों की सेवा के लिए समर्पित है। यह जानकारी बाबू जगत सिंह शोध समिति के सरंक्षक प्रदीप नारायण सिंह ने यहां दी।
उन्होंने बताया कि समिति के सदस्यों अशोक आनंद, मेजर डॉ. अरविंद कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह व खुद उनका भी सम्मान अस्पताल के निदेशक डॉक्टर भास्कर देव मुखोपाध्याय ने किया। डॉ भास्कर का वाराणसी में लक्सा स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल से भी संबंध है। ट्रस्ट के वार्षिकोत्सव समारोह में नेत्र सर्जन भास्कर देव ने बताया कि वर्ष 1935 में उनके पिता डॉ. गोपाल देव मुखोपाध्याय द्वारा स्थापित ट्रस्ट के सेवा कार्य का विस्तार करते हुए वीर भूमि (पश्चिम बंगाल) जनपद के शांति निकेतन में आरोग्य हॉस्पिटल का निर्माण कराया है। जो बाबू जगत सिंह राज परिवार के प्रति कृतज्ञता भाव से समर्पित है। डॉ. (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि 14 जनवरी 1799 को ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ की गई बगावत का अंतिम सिरा गंगासागर कोलकाता से भी जुड़ता है, जहां आजीवन कारावास की सजा पाए बाबू जगत सिंह ने जल समाधि ली थी।
बताते चलें वाराणसी के ऐतिहासिक सारनाथ स्थित धर्मराजिका स्तूप से ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 225 वर्ष पुराने बाबू जगत सिंह से सम्बंधित गलत तथ्यों को संशोधित कर नया शिलापट्ट लगाया गया है। वाराणसी के लहुराबीर स्थित क्वींस राजकीय इण्टर कॉलेज के समीप रोड पर शहीद बाबू जगत सिंह के नाम पर भव्य द्वार भी बनाया गया है। शोध समिति ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि हजारों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों का सच सामने लाया जाए ।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी