भागलपुर, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय बालिका दिवस और भारत रत्न कर्पुरी ठाकुर की जयंती पर शुक्रवार को पीस सेंटर परिधि द्वारा भागलपुर के कासिमपुर गोराडीह में बालिका खेल उत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए राहुल ने कहा कि परिधि विगत 3 दशकों से समाज के विकास के लिए महिलाओं और बालिकाओं की शिक्षा एवं सर्वागीण विकास के लिए प्रयासरत है। समाज की आधी आबादी यानि लड़कियों को जब तक बराबरी के तौर पर पढ़ने, आगे बढ़ने और समाज गढ़ने का अवसर नहीं मिलेगा तब तक अपना देश तरक्की नहीं कर सकता। भारतीय समाज में लड़कियों के लिए खेल सहज नहीं रहा है। उसमें भी वैसे खेल जिसे शारीरिक ताकत का मापदंड माना जाता हो।
इस अवसर पर संगीता कुमारी और पूजा कुमारी ने कहा कि जब तक बालिकाओं को खेल से नहीं जोड़ा जाता तब तक सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। खेल सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक शक्ति भी प्रदान करता है। इसी दिन 24 जनवरी 1966 को देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री लौह महिला श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद संभाला था। यह दिन हम सबों के लिए सबक लेने का दिन है। जयनारायण ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में सबसे पहले सबों के लिए और खास कर लड़कियों के लिए शिक्षा निशुल्क किया था। उनके प्रयासों के फलस स्वरूप लड़कियां घरों से निकाल कर स्कूल और कॉलेज तक पहुंची वहीं इंदिरा गांधी लड़कियों के लिए प्रेरणा श्रोत बनी।
प्रतिभागी बच्चियों को पुरस्कृत करते हुए गोराडीह के थाना अध्यक्ष विकास कुमार ने कहा कि आज का दिन बहुत ही खास है और हम सबके लिए संकल्प लेने का दिन है। समाज बेहतर और उन्नत माना जाता है जिस समाज में लड़कियों को लड़कों के बराबर सम्मान और अवसर मिलता है। जब हम अपनी बेटियों को बेटों के बराबर अवसर प्रदान करते हैं तो सिर्फ परिवार का ही नहीं समाज और देश का नाम रौशन होता है। आई खूबसूरत समाज बनाने में हम सब अपना योगदान दें। रंगकर्मी सुषमा ने कहा कि हम अनजाने में ही लड़का लड़की में भेदभाव करने लगते हैं। अपने ही परिवार के दो बच्चों के बीच अंतर स्थापित कर एक को कमजोर कर देते हैं। इसलिए भी ऐसे आयोजन जरूरी है, जिसमें लड़कियों को अलग से महत्व मिले, उनके बारे में बातें हों। सामाजिक बदलाव के लिए ऐसे अभिक्रम जरूरी हैं।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर