जोधपुर, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी व कूटरचना के मुख्य आरोपित की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।
ओसियां जिला जोधपुर निवासी देव सिंह ने बासनी पुरोहितान ओसियाँ निवासी ओमप्रकाश राजपुरोहित पुत्र भारत सिंह व 6 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कृषि भूमि खसरा नम्बर 2006 रकबा 22 बीघा 10 बिस्वा हमारे गाँव बासनी राजगुरा में स्थित है। जिसकी राजस्व जमाबन्दी में मेरे पिता मगराज सिंह का नाम बतौर खातेदार दर्ज हैं, जिनका देहान्त हो चुका हैं. मैं बाड़मेर में रहता हूँ, इस कारण जमाबन्दी में मेरा नाम दर्ज नहीं करा सका था। हाल ही में ओसियाँ पटवारी से मेरे नाम का म्यूटेशन भरवाने के लिए सम्पर्क करने पर पटवारी ने बताया कि उसने ओमप्रकाश व 6 अन्य के नाम म्यूटेशन कर दिया हैं। देव सिंह ने प्रथम सूचना में यह भी लिखा कि मुख्य आरोपित ओमप्रकाश व 6 अन्य लोगों ने झूठे शपथ-पत्र व कूटरचित दस्तावेज पटवारी को पेश कर धोखाधड़ी पूर्वक अपने नाम के म्यूटेशन भरवा दिए हैं, जो धोखाधड़ी व कूटरचना का अपराध होने से उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर, उन्हें गिरफ्तार किया जावें।
धोखाधड़ी व कूटरचना के मुख्य आरोपित ओमप्रकाश राजपुरोहित की ओर से एडवोकेट निखिल भण्डारी ने राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में एक फौजदारी विविध याचिका व स्थगन प्रार्थना-पत्र पेश कर यह बहस की कि देव सिंह की प्रथम सूचना में वर्णित तथ्य बिल्कुल झूठे हैं। देव सिंह के पिता मगराज सिंह का नाम जमाबन्दी में नहीं हैं, जबकि प्रार्थी ओमप्रकाश राजपुरोहित का नाम राजस्व जमाबन्दी में पहले नम्बर पर दर्ज हैं। परिवादी पक्ष तथा प्रार्थी ओमप्रकाश व उसके परिवार वालों के बीच अतिरिक्त जिला कलेक्टर, जोधपुर ग्रामीण में रेवेन्यू का मुकदमा विचाराधीन हैं, इसलिए इस मामले में फौजदारी कार्यवाही नहीं हो सकती हैं।
एडवोकेट निखिल भण्डारी ने अपनी बहस में आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने 2 फैसलों में ऐसे ही फैसले दिए थे जो इस मामले में पूरी तरह लागू होते है।
एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस फरजंद अली ने पुलिस अधीक्षक जोधपुर ग्रामीण, थानाधिकारी पुलिस थाना ओसियाँ तथा परिवादी देव सिंह को नोटिस जारी करते हुए प्रार्थी ओमप्रकाश राजपुरोहित की गिरफ्तारी पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगा दी।
(Udaipur Kiran) / सतीश