HEADLINES

परिजन बोले-नेताजी के अवशेष भारत लाने में कोई रुकावट नहीं, जापान से अवशेष लाने की मांग

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

कोलकाता, 23 जनवरी (Udaipur Kiran) । नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अवशेष, जो जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे गए हैं, उनको लेकर लंबे समय से विवाद और चर्चा होती रही है। नेताजी के कुछ परिजनों का दावा है कि उनके पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो यह साबित करते हैं कि मंदिर के पुजारी अवशेष भारत को सौंपने के लिए हमेशा तैयार रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से नेताजी के अवशेष जापान से भारत लाने की मांग की है।

नेताजी के परिजन और उनके प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि इन अवशेषों को भारत लाकर डीएनए परीक्षण कराया जाए, ताकि यह पुष्टि हो सके कि ये वास्तव में भारत की स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े नेताओं में से एक नेताजी के ही अवशेष हैं।

गत 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक जापानी सैन्य विमान हादसे में नेताजी की मौत होने की खबर थी। इस हादसे में बुरी तरह जलने के कारण उनकी मौत होने की बात कही गई थी। अब तक हुए 10 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जांच आयोगों की रिपोर्ट में नेताजी की मौत की पुष्टि की गई है।

हालांकि, 2005 में सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज मनोज कुमार मुखर्जी की अध्यक्षता वाले आयोग ने यह निष्कर्ष दिया था कि नेताजी की मौत विमान हादसे में नहीं हुई। आयोग ने यह भी कहा था कि रेनकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेताजी के नहीं हैं।

नेताजी के परिजन और उनकी बेटी प्रोफेसर अनीता बोस फाफ ने कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय और भारत सरकार को पत्र लिखकर इन अवशेषों को भारत लाने की मांग कर चुके हैं। नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा, यह शर्मनाक है कि नेताजी के अवशेष आज भी जापान में पड़े हैं। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि ये अवशेष नेताजी के हैं या नहीं।

माधुरी बोस, नेताजी की पोती, ने भी दावा किया कि मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार डीएनए परीक्षण के लिए पूरी तरह से सहमत रहे हैं। उन्होंने कहा, मंदिर के पुजारी ने हमेशा कहा है कि अवशेष भारत वापस भेजे जाने चाहिए। यह उनके पूर्वजों की इच्छा थी।

लेखक और शोधकर्ता सुमेरु रॉय चौधरी ने दावा किया कि नेताजी से जुड़े कई दस्तावेज बताते हैं कि 1990 के दशक में भारत सरकार ने इन अवशेषों को लाने की कोशिश की थी, लेकिन राजनीतिक फायदा न होने की वजह से यह योजना रुक गई।

सूर्या कुमार बोस, नेताजी के भतीजे ने कहा कि 2019 में उनकी जापान यात्रा के दौरान रेनकोजी मंदिर के पुजारी ने उन्हें अवशेष सौंपने के लिए अपनी सहमति जताई थी।

नेताजी के परिजन और प्रशंसक अब भी इस उम्मीद में हैं कि भारत सरकार इन अवशेषों को वापस लाकर डीएनए परीक्षण कराएगी, ताकि नेताजी की मृत्यु से जुड़ी गुत्थी सुलझ सके।

—————

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top