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लुवास के सुक्ष्मजीवी विभाग में 21 दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारम्भ
हिसार, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय
के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग में 37वें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,
सेंटर फॉर एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग (कैफट) का उद्घाटन किया गया। इस 21 दिवसीय पाठ्यक्रम
का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजा शेखर वुंडरू के निर्देशन में किया जा रहा
है।
इस पाठ्यक्रम के दौरान भारतवर्ष से विभिन्न-क्षेत्रों के वैज्ञानिकों को ‘पशु
चिकित्सा विज्ञान में सेरोलॉजिकल, आणविक और कोशिका आधारित नवीनतम निदान’ विषय पर प्रशिक्षित
किया जाएगा। बुधवार को उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल
लुवास ने बताया कि पशुपालकों को उत्तम पशु उत्पाद तथा पशुओं से आमदनी में वृद्धि के
लिए पशुओं एवं कुक्कुट में होने वाली बीमारियों के निदान तथा बचाव की नवीनतम तकनीकों
को अपनाना होगा। उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के अनुसंधान क्षेत्र में
निरंतर सुधार के लिए पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सराहना की तथा प्रशिक्षण
के प्रारूप तैयार करने के लिए प्रशिक्षण निदेशक और समन्वयकों को बधाई दी। इस अवसर पर
मुख्य अतिथि ने पाठ्यक्रम के आयोजकों द्वारा तैयार ‘प्रशिक्षण पुस्तिका’ का भी विमोचन किया।
विभागाध्यक्ष एवं प्रशिक्षण के निदेशक डॉ. राजेश छाबड़ा ने प्रतिभागियों का
स्वागत किया तथा अनुसंधान, शिक्षण, विस्तार और मानव संसाधन विकास गतिविधियों के संचालन
में विभाग के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि इस कोर्स
का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों के कौशल में सुधार लाना है, इसके लिए प्रशिक्षण दौरान
प्रशिक्षुओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के अतिरिक्त विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों
पर व्याख्यान दिए जाएंगे।
प्रशिक्षण संयोजक डॉ. अनीता दलाल और डॉ. संजीवना ने कोर्स के विषय के बारे
में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस ट्रेनिंग में देश के 8 राज्यों से कुल
25 वैज्ञानिक तथा प्राध्यापकों को प्रशिक्षित किया जायेगा। देश के विभिन्न भागों से
विशेषज्ञों को स्पीकर के रूप में आमंत्रित किया गया है। विशेषज्ञों द्वारा पशुओं की
बीमारियों एवं उनके निदान, नवीनतम सेरोलॉजिकल, आणविक और कोशिका आधारित विषयों पर व्याख्यान
दिए जाएंगे। प्रशिक्षणार्थियों को विषय से सम्बन्धित विभिन्न संस्थानों का दौरा भी
करवाया जाएगा। इस पाठ्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वित्त
पोषित किया गया है। अंत में कोर्स समन्वयक डॉ. संजीवना ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
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