जम्मू, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि भारत को बाहर से नहीं बल्कि अंदर से खतरा है। उन्होंने देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एकता और विभाजनकारी आख्यानों का मुकाबला करने के महत्व पर जोर दिया।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस मुख्यालय में एक समारोह में बोलते हुए कहा कि देश आज भी खुद को बचाने के लिए बलिदान मांगता है। भारत को बाहर से नहीं बल्कि अंदर से खतरा है। देश के अंदर के लोग इसे नष्ट कर सकते हैं, बाहर के लोग नहीं। देश को मजबूत बनाने के लिए हमें खुद को, अपने भाइयों और अपनी बहनों को मजबूत बनाना होगा।
डॉ. अब्दुल्ला ने विभाजनकारी प्रचार की आलोचना की, खासकर इस आख्यान की कि हिंदू खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि इस देश में 80 प्रतिशत हिंदू हैं, तो खतरा कहां है? यह आख्यान लोगों में डर पैदा करने के लिए है। इस झूठ को तोड़ना सभी का कर्तव्य है।
अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर टिप्पणी करते हुए डॉ. अब्दुल्ला ने तर्क दिया कि विशेष प्रावधान केवल कश्मीरियों के लिए नहीं था बल्कि महाराजा हरि सिंह ने 1927 में डोगराओं को धनी पंजाबियों के आर्थिक वर्चस्व से बचाने के लिए पेश किया था। उन्होंने कहा कि आपने निरस्तीकरण का जश्न मनाया लेकिन अब घरेलू नौकरियां भी बाहरी लोगों को मिल रही हैं। बाहर से नौकर लाए जा रहे हैं। सोचिए आपको क्या मिला है। उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद बढ़ती आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि आपकी जमीनें ली जा रही हैं और नौकरियां अब आपके लिए आरक्षित नहीं हैं।
अब्दुल्ला ने देशद्रोही होने के आरोपों पर कहा कि मैं एक मुसलमान हूं और मैं एक भारतीय मुसलमान हूं। मैं न तो चीनी हूं और न ही पाकिस्तानी मुसलमान लेकिन यह दुष्प्रचार जारी है। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिंदू सदस्यों को भी कभी पाकिस्तानी कहा जाता था। लोगों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हमने कई चुनौतियों का सामना किया लेकिन कभी झुके नहीं। मेरे पिता ने भी मुश्किलों का सामना किया लेकिन हमने हार नहीं मानी। अगर हम सही रास्ते पर चलें, ईमानदारी से काम करें और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करें तो हम किसी भी चुनौती से पार पा सकते हैं।
उन्होंने पार्टी नेताओं से विभाजन से बचने और लोगों के लिए खुले रहने का आग्रह किया और आंतरिक एकता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुरुष अक्सर महिलाओं के साथ सत्ता साझा करने में हिचकिचाते हैं जिससे हमारे देश की प्रगति में बाधा आती है। हमें पुरुषों और महिलाओं के लिए सही मायने में प्रगति सुनिश्चित करनी चाहिए।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह