कोलकाता, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) ।पश्चिम बंगाल राज्य सरकार संचालित मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जारी आंशिक कार्य बहिष्कार बुधवार सुबह समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 12 निलंबित डॉक्टरों के मामले की समीक्षा का आश्वासन दिया, जिसके बाद डॉक्टरों ने अपना विरोध वापस ले लिया।
महीने की शुरुआत में रिंगर लैकटेट नामक सलाइन के गलत इस्तेमाल से हुई महिला और नवजात की मौत के बाद छह वरिष्ठ और छह जूनियर डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था। इस विवाद के कारण अस्पताल के आपातकालीन और बाह्य रोगी विभाग की सेवाएं बाधित हो गई थीं।
मुख्यमंत्री कार्यालय की अपील के बाद डॉक्टरों ने काम पर लौटने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने निलंबन की समीक्षा का भरोसा दिया है।
मामला तब सामने आया जब पांच महिलाओं को एक्सपायर्ड रिंगर लैकटेट का उपयोग किया गया, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई। इनमें से मामनी रुइदास और रेखा साव के नवजात की मौत हो गई। विवादित सलाइन पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति किया गया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौतों का कारण डॉक्टरों की लापरवाही को बताया और आपूर्तिकर्ता का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यदि सलाइन में गड़बड़ी होती तो अन्य अस्पतालों में भी ऐसी घटनाएं सामने आतीं।
सरकार ने मामले की जांच के लिए एक क्लिनिकल विशेषज्ञ टीम बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में रिंगर लैकटेट और ऑक्सीटोसिन के उपयोग से संभावित दुष्प्रभावों की संभावना से इनकार नहीं किया। विवादित बैच को उन्नत परीक्षण के लिए भेजा गया है। साथ ही, राज्य पुलिस की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) भी मामले की अलग से जांच कर रही है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर