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येओल ने संवैधानिक न्यायालय से मांगी माफी, कहा- कुछ गलत नहीं किया  

औपचारिक रूप से गिरफ्तार दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को संवैधानिक न्यायालय में पहुंचकर अपने मार्शल लॉ को लागू करने के फैसले का बचाव किया।

सियोल, 21 जनवरी (Udaipur Kiran) । दक्षिण कोरिया में हाल ही में औपचारिक तौर पर गिरफ्तार राष्ट्रपति यून सुक येओल आज संवैधानिक न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए। वह तीन दिसंबर को मार्शल लॉ की अल्पकालिक घोषणा कर राजनीतिक और कानूनी उलझनों में फंस चुके हैं। नेशनल असेंबली उनके खिलाफ 14 दिसंबर को महाभियोग प्रस्ताव पारित कर चुकी है। संवैधानिक न्यायालय को यह फैसला करना है कि महाभियोग चलाया जाए या नहीं। येओल ने न्यायाधीशों से माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया।

द कोरिया टाइम्स के अनुसार येओल ने महाभियोग मुकदमे में अपना बचाव किया और इस रुख को दोहराया कि उनका मार्शल लॉ लगाना शासन का एक कार्य था। इस प्रकार उन्होंने संविधान का उल्लंघन नहीं किया। दक्षिण कोरिया के इतिहास में यह पहली बार है कि देश के मौजूदा या पूर्व राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से महाभियोग परीक्षण की सुनवाई में हिस्सा लिया। भ्रष्टाचार जांच कार्यालय (सीआईओ) ने विद्रोह और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों पर पूछताछ के लिए उन्हें 15 जनवरी को हिरासत में लिया था। उन्हें सियोल डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।

येओल की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि राष्ट्रपति का मार्शल लॉ डिक्री में किसी भी आदेश को लागू करने का कोई इरादा नहीं था। अभियोजन पक्ष की भूमिका निभाते हुए नेशनल असेंबली ने तर्क दिया कि येओल ने संविधान का उल्लंघन किया है। येओल के वकीलों ने कहा कि पूर्व रक्षामंत्री किम योंग-ह्यून ने मार्शल लॉ डिक्री के प्रारंभिक संस्करण का मसौदा तैयार किया। उसे बाद में यून ने संशोधित किया।

संवैधानिक न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मून ह्युंग-बे ने सुनवाई के दौरान घोषणा की कि पूर्व आंतरिक और रक्षामंत्री ली सांग-मिन और आर्थिक मामलों के वरिष्ठ राष्ट्रपति सचिव पार्क चुन को बुलाने के राष्ट्रपति की कानूनी टीम के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। पार्क को 6 फरवरी को और ली को 11 फरवरी को गवाही देनी है। बताया गया है कि येओल के करीब चार हजार समर्थक संवैधानिक न्यायालय के आसपास जमा हो गए। इन लोगों ने दक्षिण कोरिया और अमेरिका के राष्ट्रीय झंडे लहराए। समर्थकों ने महाभियोग को अमान्य कर राष्ट्रपति को फौरन रिहा करने की मांग की।

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(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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