Uttar Pradesh

सर्दी के मौसम में सरसों की फसल के लिए माहू कीट है खतरनाक: प्रो एसके विश्वास

सरसो की फसल
फसल में लगें कीड़े

कानपुर, 18 जनवरी (Udaipur Kiran) । इस मौसम में माहू कीट या चेपा का प्रमुखता से सरसों की फसल में आक्रमण होता है। ये कीड़े कोमल पत्तों के तनों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते है। यदि समय पर फसल पर ध्यान न दिया जाए तो परिणाम काफी घातक हो सकते है। फसलों को लगने वाले इस तरह रोगों और उसके इलाज को लेकर शनिवार को सीएसए के कृषि वैज्ञानिक प्रो. डॉ. एसके विश्वास ने कई तरह के उपायों को साझा किया है।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के पादप रोग विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसके विश्वास ने सरसों फसल के रोग एवं कीड़ों से बचाव हेतु किसानो के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि तिलहनी फसलों में सरसों का विशेष स्थान है, इस समय इस कीट के शिशु का पौधों के कोमल तनों, पत्तियों ,फूलों एवं नई पत्तियों से रस चूस कर उसे कमजोर एवं क्षतिग्रस्त करते हैं। आसमान में बादल घिरे रहने से इसका प्रकोप तेजी से होता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए एमिडाक्लोप्रीड 0.03 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें या फिर जैविक नियंत्रण कस लिए फसल में दो प्रतिशत नीम के तेल को तरल साबुन में घोलकर ( 20 मिली. नीम का तेल और एक मिलीलीटर तरल साबुन) छिड़काव करें।

सरसों की फसल में काला धब्बा रोग भी लगता है। यह सरसों की पत्तियों पर छोटे-छोटे गहरे भूरे गोल धब्बे बनते हैं जो बाद में तेजी से बढ़कर काले और बड़े आकार के हो जाते हैं। इस रोग की अधिकता में बहुत से धब्बे आपस में मिलकर बड़ा रूप ले लेते हैं। फलस्वरुप पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं यह लक्षण फसल में दिखाई देते ही डाइथेन एम 45 का 0.2 प्रतिशत घोल के दो छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉक्टर खलील खान ने कृषकों से अपील करते हुए कहा कि वे सरसों फसल की निगरानी अवश्य करते रहें, क्योंकि आसमान में बादल छाए रहने से सरसों की फसल में कीट और रोग आने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि फसल पर रोग या कीट आने पर प्रबंध करें जिससे फसल को कीट और रोगों से बचाया जा सके।

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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap

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