Uttar Pradesh

सनातन संस्कृति में कर्म ही प्रधान है:आचार्य अशोक

शिव सत्संग मण्डल संत परंपरा से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है:आचार्य अशोक

हरदोई, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । टोडरपुर विकास खण्ड के ग्राम कामेपुर में शुक्रवार को आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में शिव सत्संग मण्डल प्रमुख आचार्य अशोक ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल, ऋषियों मुनियों एवं संत परंपरा से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है। श्रद्धालुओं से कहा कि सनातन संस्कृति में कर्म प्रधान है।कर्म ही आपका धर्म है।

आचार्य अशोक ने कहा कि देवों के देव महादेव सभी के परमपिता हैं। महादेव की शक्ति भारतीय ग्रंथों में वर्णित है। श्रद्धावान, साधना में तत्पर और जितेन्द्रिय मनुष्य ज्ञान को प्राप्त होता है, ज्ञान को प्राप्त होकर वह तत्काल ही शांति को प्राप्त होता है । आध्यात्मिक अंतःकरण संपन्न मनुष्य की समस्त सांसारिक एषणायें, प्रवृत्तियां शांत, अंतर्मुखी और स्थिर हो जाती हैं। शांति का मूल आधार केवल आध्यात्मिक विचार ही है । संसार के त्रिविध तापों और क्लेशों में उलझा मनुष्य अशांत, व्यग्र, असहज, असंतुलित और अत्यन्त विचलित रहता है। इसका एक ही कारण है कि, उसके पास सही विचार, दिशा और दशा नहीं है। जब मनुष्य के पास सद विचाराें का प्रकाश आता है, तो उसे परमानंद की संप्राप्ति होती है। आनंद का अर्थ है, प्रसन्नता, शांति, स्फूर्ति, उमंग और उल्लास का आना। प्रसन्नता वस्तु और पदार्थ सापेक्ष नहीं अपितु विचार सापेक्ष है।

उन्होंने कहा कि शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है।शिव स्तुति करने से मन में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। परमात्मा का प्रकाश स्वरूप से ध्यान करने मात्र से जीवन में अलौकिक बदलाव आता है।

आचार्य जी ने कहा कि ध्यान और भजन से मनुष्य एक बेहतर इंसान बनता है। अटूट श्रद्धा और विश्वास से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।

इस धर्म उत्सव में व्यवस्थापक यमुना प्रसाद,प्रचारक प्रेम भाई, हरिश्चंद्र, आशा राम, हंसराम, राज कुमार,सेवा राम लाला राम सहित अनेक सत्संगी भाई बहन मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / अंबरीश कुमार सक्सेना

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