भारत का विचार आध्यात्म का विचार: जोशी
जयपुर, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । ‘‘भारत देश का विचार आध्यात्म का विचार है, इसी आधारित हमारा जीवन है। आध्यात्म विचार से ही देश और समाज का विकास हुआ है, विभिन्न क्षेत्रों में ऊॅचाइयां भी हासिल की है।’’ यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने कही। वे शुक्रवार को प्रदीप गोपाल स्मृति न्यास सांगानेर, एयू बैंक एवं पूर्णिमा गु्रप के संयुक्त तत्वावधान में सीतापुरा स्थित पूर्णिमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नॉलॉजी में आयोजित ‘‘द ढूंढाड टॉक्स-2025’ कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
उद्घाटन सत्र में ‘स्व’ की ओर भारत’ विषयक पर बोलते हुए प्रदीप जोशी ने कहा कि देश के ‘स्व’ का भाव को समझने एवं अनुभव करने की आवश्यकता है। यह विचार ही हमारा मुख्य विषय है और यही हमको आगे तक ले जाने वाला है। स्व’ विचार को लेकर भारत आगे बढ़ेगा तो उन्नति के शिखर पर जा सकता है। भारत में जो विचार विकसित हुआ है वह व्यक्तिमंगल से विश्वमंगल की कल्पना देने वाला विचार है। इसमें अपना भी हित है और दुनिया का भी हित है। इस प्रकार की दिशा लेकर हमारे समाज का प्रयत्न चला है। ऐसे विषयों पर हमारी पीढ़ी निश्चित काम करेगी, करती रहेगी।
युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए प्रदीप जोशी ने कहा कि हमारी पहले की पीढ़ी आईटी, कम्प्यूटर, इंजीनियर आदि विषयों को लेकर सारी दुनिया में छा गई। नई पीढ़ी का दायित्व बनता है कि समाज क्षेत्र के विज्ञान विषय के नए-नए विषयों के बारे में चिंतन करे। दुनिया जो विज्ञान मांग रही है वो हमको देनी होगी। शिक्षा व स्वास्थ्य के अलावा भी भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भारत की वर्तमान पीढ़ी को काम करने की आवश्यकता है। समाज में अनावश्यक चीजों को दूर करने का संकल्प हम सबको सिखाता है।
पंच प्रण पर बोलते हुए जोशी ने कहा कि सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी का आचरण एवं नागरिक शिष्टाचार इत्यादि पंच प्रण से समाज परिवर्तन होगा। संविधान हमको कर्तव्य की भावना सीखता है। वह हमको अधिकार जरूर देता है लेकिन हमारी जिम्मेदारी भी तय करता है। इसलिए जिम्मेदारी के प्रति अपने आप को जोड़कर रखना। छोटी-छोटी बातों से बड़ा काम होता है। छोटी-छोटी शक्तियां मिलकर ही महाशक्ति बनती है। हमको हमारा देश खड़ा करना है तो हमारे जैसे जनसामान्य के जीवन में पंच परिवर्तन लाना आवश्यक है। भारत का स्वप्न दुनिया में सुख शांति लाना है। सारी दुनिया हमारे जैसे विचार पर चलने की भावना खड़ी करें। कोई संघर्ष और शोषण नहीं के विचार पर सारी दुनिया को लाने की प्रेरणा सबको दें। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ बागडे एवं मुख्य वक्ता प्रदीप जोशी के साथ विशिष्ट अतिथि पूर्णिमा ग्रुप के चेयरमैन शशिकांत सिंघी व प्रदीप गोपाल स्मृति न्यास सांगानेर के अध्यक्ष सत्यनारायण साहू भी मंच पर उपस्थित रहे।
अतीत पर प्रकाश डालते हुए जोशी ने कहा कि भारत का भू-सांस्कृतिक ज्ञान बहुत अच्छा है। व्यवस्था आधारित समाज रचना है। भारत आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न देश था। जब कभी दुनिया का आर्थिक विकास लिखा जाता है तब भारत के बारे में काफी लिखना पड़ता है। आठ साै-हजार साल तक दुनिया के आर्थिक समृद्ध देशों में गिना जाता रहा है। तीस प्रतिशत हमारा जीडीपी चलता था। तीसरी शताब्दी में भारत में व्यवस्था आधारित समाज रचना है जो दुनिया को आर्थिक समृद्धि का एक मार्ग दिखाती है।
जोशी ने कहा कि महिला समानता, महिला शोषण इत्यादि पर बात करते हुए कुछ लोग हमको कटघरे में अनावश्यक ही खड़े करते है। उनको समझना चाहिए कि भारत में किंग्डम नहीं क्विन्डम भी दिखाई देता है। तीसरी शताब्दी में भारत में राजा नहीं, बड़ी मात्रा में रानियां भी राज्य करती थी। हमारे देश के गौरव व चिंतन को हर समय दुनिया ने अनुभव किया है। विदेशी मेगस्थनीज ने तक भी महसूस करते हुए इसका वर्णन अपनी पुस्तक इंडिका में भी किया।
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि भारत ‘स्व’ के दम पर आगे बढे़गा। जिस प्रकार शेर पहले थोड़ा पीछे जाता है और फिर पूरी ताकत के साथ आगे छलांग लगाता है उसी प्रकार हमको भी थाेड़ा पीछे जाकर अपने अतीत का गहनता से अध्ययन कर स्व के दम पर आगे छलांग लगानी है। उन्होंने कहा कि भारत देश विकलांग नहीं है। हमारी संस्कृति को लोप करने की अब किसी की हिम्मत नहीं। हमारे लिए पहले हमारा देश है। यह उज्ज्वल परम्परा वापिस लानी होगी। भारत को पुनः विश्वगुरू बनाना होगा। हम किसी से कम नहीं है। हमारी बुद्धि कम नहीं है। अमेरिका द्वारा बौद्दिक क्षमता परीक्षा में टॉप 10 में भारत के लोग आ रहे है। उन्होंने युवाओं से नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले और हर हाल में एक रहने का भी आह्वान किया।
‘द ढूंढाड टाक्स-2025’ कार्यक्रम में शुक्रवार काे कुल चार सत्र हुए। प्रथम उद्घाटन सत्र के बाद दूसरे सत्र मे ओर्गनाइजर मैग्जीन के संपादक प्रफुल केतकर ने ‘डीप स्टेट, सांस्कृतिक मार्क्सवाद व वोकिज्म’ विषय पर अपने विचार साझा किए। तीसरे सत्र का विषय ‘डेटिंग एप, फिल्म व युवा’ रहा जिसमें जर्नलिस्ट एवं सोशलिस्ट दीपिकानारायण भारद्वाज, दी केरला स्टोरी फिल्म कहानी के लेखक सूर्यपालसिंह व राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड विजेता अशोक चौधरी से संवाद किया। चौथा सत्र सायं को सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम रहा, जिसमे जसराज बैण्ड की मनमोहक प्रस्तुति के साथ साथ युवाओं के आकर्षक जाने माने गायककार रेपरिया बालम ने राष्ट्रभक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुतियां देकर उपस्थित जनसमूह का मन मोहा। बौद्धिक एवं सांस्कृतिक सत्रों के अलावा ढूंढाड थीम पर कई प्रकार की महाविद्यालय विद्यार्थियों की प्रतियोगिता भी रही। इसके अतिरिक्त देश के जाने माने 20 प्रमुख प्रकाशनों की 15000 से अधिक पुस्तकों की स्टॉल भी आकर्षण का केन्द्र रही।
कार्यक्रम के संयोजक बुद्धिप्रकाश ने बताया कि ‘राष्ट्रहितं मम कर्तव्यम’ थीम आधारित कार्यक्रम में शनिवार को चार सत्र रहेगे। दूसरे दिन 18 जनवरी प्रातः 10 बजे पांचवा सत्र मातृशक्ति के नाम रहेगा, जिसमे लेखिका शेफाली वैद्य, नेशनल पैनेलिस्ट अधिवक्ता चारू प्रज्ञा व राष्ट्रीय पुरस्कार पुरस्कृत सामाजिक महिला कार्यकर्ता रूमा देवी ‘आधी आबादी पूरा कर्तव्य’ विषयक मंच साझा करेगी। छठें सत्र में युवाओ के आकर्षण लेखक वक्ता एवं इतिहास विशेषज्ञ राजवीरसिह चकलोई व पाथेयकण सह प्रबंध संपादक श्याम सिंह रहेंगे जो ‘राजस्थानी संस्कृति हमारा गौरव व राजस्थान का अनछुआ गौरव’ विषय पर युवाओं से जीवंत संवाद करेंगे। सातवां सत्र भी युवा-रोजगार के केंद्रित होगा, जिसमें प्रथम साॅफ्टवेयर के सीईओ पुनीत मित्तल, शशिकांत सिंघी व रूमा देवी ‘स्व रोजगार की ओर बढ़ता युवा’ विषय के माध्यम से अपने अनुभव का आदान-प्रदान करेंगे। कार्यक्रम का अन्तिम सत्र सायं 4.30 बजे ‘भारत का बदलता वैचारिक परिदृश्य’ विषयक होगा, जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, एयू बैक संस्थापक एवं सीईओ संजय अग्रवाल व आरएचआरडी संरक्षक जसवंत खत्री उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित