नई दिल्ली, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाने को लेकर जांच एजेंसियों और ट्रायल कोर्ट को बेहद सतर्कता बरतने को कहा है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने अहम फैसले में साफ किया है कि ऐसे मामलों में अपने परिजनों को खो चुके घरवालों को दिलासा देने या उन्हें संतुष्ट करने के मकसद से ही इस आरोप को नहीं लगाया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों को इतना संजीदा होना चाहिए कि वो भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (अब भारतीय न्याय संहिता में धारा 108) के मामलों में आरोपितों को बेवजह परेशान न करें। ट्रायल कोर्ट को भी ऐसे मामलों में आरोप तय करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुदकुशी के लिए उकसाने को साबित करने के लिए कड़े मापदंड हैं, जिसके लिए कई तरह के सबूतों की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि इसे जीवन की रोजाना की वास्तविकताओं से अलग नहीं किया जा सकता है। इस प्रावधान के तहत दस साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम