जोधपुर, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । प्रदेश मुख्यालय के आदेश पर बढ़ते साइबर अपराधों की रोकथाम की कड़ी में पुलिस सजग हो गई है। जोधपुर कमिश्नरेट में भी साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे है। पुलिस धोखाधड़ी के प्रकरणों का भी निरंतर खुलासा कर रही है। कमिश्नरेट में चल रहे कॉल सेंटर्स पर पुलिस की सजग निगाह जमी है। 11 जनवरी को पुलिस ने मधुबन हाउसिंग बोर्ड डीडीपी नगर में एक कॉल सेंटर पर रेड देकर महिला को पकड़ा था, मगर मुखिया कंपनी बंद कर भाग गए। जिनकी अब तक तलाश जारी है। इधर पुलिस ने गुरुवार को कुड़ी भगतासनी एरिया सेक्टर 9 में एक और कॉल सेंटर पर दबिश देकर दस युवतियां, महिलाएं एवं दो युवकों को पकड़ा है। आरोप है कि कार सर्विस प्रोवाइड कराने के नाम पर यह कस्टमरों से धोखाधड़ी की जाती थी। कुड़ी भगतासनी में सेक्टर 2 में दो साल पहले भी बड़े स्तर पर कॉल सेंटर्स का खुलासा किया था।
डीसीपी वेस्ट राजर्षि राजवर्मा के सुपरविजन में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए साइबर टीमों को सजग कर रखा गया है। इसी कड़ी में गुरुवार को कुड़ी भगतासनी पुलिस ने सेक्टर 9 में एक स्थान पर चल रहे कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए दस युवतियों – महिलाओं और दो युवकों को पकड़ा है। आरंभिक पड़ताल में सामने आया कि यह लोग कारों की सर्विस प्रोवाइड कराने के नाम पर ग्राहकों के दस्तावेज हासिल कर बाद में धोखाधड़ी की वारदातें करते थे। शिकायत सामने आने पर सत्यापन के बाद पुलिस ने रेड दी और कॉल सेंटर्स से पकड़ा गया। पुलिस वहां से कई कंप्यूटर सेट, फर्जी दस्तावेजों को भी जब्त किया है।
कुड़ी पुलिस के अनुसार कॉल सेंटर्स से पंचोलिया नाडी प्रतापनगर हाल कुड़ी भगतासनी सेक्टर 9 निवासी सुमेरचंद्र उर्फ सौरभ कंडारा पुत्र सुरेंद्र कंडारा, शेरगढ़ के सुवालिया हाल 8जे 48 निवासी जगदीश पुत्र दमाराम जाट एवं कुड़ी में रहने वाली लक्ष्मी सुथार, लक्षिता, सोनू यादव, भावना मेवाड़ा, पूजा सिसोदिया, प्रियंका मेवाड़ा, पूनम कडेला, मनीषा मेघवाल एवं रिया को पकड़ा गया है।
बता दें कि मबुधन हाउसिंग बोर्ड बासनी डीडीपी नगर स्थित मकान में फर्जी कॉल सेंटर से साइबर ठगी करने वालों के सक्रिय होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने दबिश दी तो वहां एक युवती मिली। जिससे मोबाइल व रजिस्टर जब्त किए गए। युवती से पूछताछ में सामने आया कि कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी गौरव पंजाबी व अमित सिंह उर्फ हन्नीसिंह कॉल सेंटर के संचालक हैं। जो वाहन मालिकों के मोबाइल नम्बर मुहैया करवाते थे और फिर कॉल सेंटर में कार्य करने वाली युवतियां इनसे सम्पर्क कर वाहनों के ब्रेक डाउन होने के दौरान सर्विस कार्ड बनाने का झांसा देती थी।
(Udaipur Kiran) / सतीश