नई दिल्ली/पटना, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारत में आज भी सैकड़ों वर्षों की गुलामी का असर व्याप्त है। कभी विश्व व्यापार में 30 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला देश केवल नौकरी की मानसिकता के कारण ही 3 फीसदी पर सिमट गई है। स्टार्टअप दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त कम्युनिकेशन स्किल्स संस्थान ब्रिटिश लिंगुआ के संस्थापक डॉ. बीरबल झा ने गुरुवार को उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए यह बात कही।
डॉ. बीरबल झा ने आज स्टार्टअप दिवस पर हाऊ टू स्क्रैच द इच टू लांच ए स्टार्टअप विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधित करते हुए यह बात की। डॉ. झा ने कहा कि हम एक अदद नौकरी पाने के लिए सारे विश्व की खाख छानते फिरते हैं, लेकिन खुद रोजगार सृजन करने के बारे में कभी नहीं सोचते।
उन्होंने उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इन्हीं कारणों से वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज के दिन स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वालों के देश में भारत को बदलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। झा ने कहा कि इस योजना के माध्यम से नए विचारों के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना है जिसके माध्यम से न केवल बेरोज़गारी की समस्या को दूर किया जा सके बल्कि देश का भी आर्थिक विकास हो सके।
डॉ. बीरबल झा ने कहा कि सरकार के प्रयास के बावजूद विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला हमारा देश स्टार्टअप के मामले में विश्व में 19वें नंबर पर है। उन्होंने कहा कि यदि हम भारत के भीतर स्टार्टअप के विकास की बात करें तो इस मामले में भारत में बेंगलुरु पहले नंबर पर आता है। इसके विकास को विकेंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि बिहार जैसे आर्थिक रुप से पिछड़े राज्य को इसकी सर्वाधिक जरूरत है।
उन्होंने विस्तार से इसके लिए आवश्यक तत्वों और संसाधनों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए वह दिन सुनहरा होगा, जब सारे विश्व से लोग शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने वैसे ही पुनः भारत आना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि जैसे एक समय सारे दुनिया के छात्र शिक्षा प्राप्त करने हमारे नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला के विश्वविद्यालयों में आया करते थे। वह दिन भारत के लिए स्वर्ण युग होगा जब पुनः दुनियां भर के लोग भारत में नौकरी और व्यापार करने को लालायित होंगे और विश्व व्यापार पर भारतीय उद्योगपतियों का कब्जा होगा।
डॉ. झा ने कहा कि आज बिहार की सबसे बड़ी समस्या पलायन का भी एकमात्र समाधान स्टार्टअप का विकास ही है। बिहार के पास ऐसी कई प्राकृतिक संसाधन और स्किल्स हैं जिसके सहारे हम अपनी गरीबी, बेरोज़गारी भी दूर कर सकते हैं और अपने राज्य को भी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा सकते हैं। मखाना, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज आधारित उद्योगों का विकास हो या मिथिला पेंटिंग, सिक्की कला जैसे कलाओं का व्यावसायिक उपयोग करने की क्षमता में विस्तार कर बिहार भी देश की विकासयात्रा में कदम से कदम मिलाकर अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकता है। इस अवसर पर वागीश झा, एम के सिन्हा, बिरजू कुमार और विक्की आनन्द ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर