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केज़रीवाल कुछ यूं सत्ता की भूख में डूब जाते हैं, ‘ख़ास’ पर चिंता जताते हैं और आम को भूल जाते हैंः इमरान मसूद

नई दिल्लीः दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते सांसद इमरान मसूद

नई दिल्ली, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने आज आम आदमी पार्टी (आआपा) पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि आज चुनावों के वक्त केजरीवाल को मुस्लिम भाई याद आ रहे हैं, वो भी सिर्फ खास वर्ग के।

इमरान मसूद ने कहा कि पिछले 10 सालों में केजरीवाल ने कभी दिल्ली के मुसलमानों पर चिंता व्यक्त नहीं की। पहली बार चिंता भी व्यक्त की तो मुंबई पर। ये चिंता सैफ़ अली ख़ान की, सलमान ख़ान की या बाबा सिद्दीक़ी की नहीं है, ये वोटों की चिंता हैं। चिंता भी व्यक्त की तो खास वर्ग के लोगों के लिए न कि आम आदमी के लिए। इस दौरान इमरान मसूद भाजपा पर भी हमलावर दिखे। उन्होंने कहा कि भाजपा की सत्ता जहां होती है, उसकी सरपरस्ती अपराधियों को होती है। दिल्ली में अपराध दर पूरे विश्व में सबसे ज्यादा है।

इस अवसर पर इमरान मसूद ने केजरीवाल से पांच सवाल पूछे, जो इस प्रकार हैंः

1. जहांगीरपुरी और पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा पर आआपा की चुप्पी

दिल्ली के जहांगीरपुरी और पूर्वी दिल्ली इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा के बाद न तो आपने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और न ही पीड़ित एवं असुरक्षित समुदायों के पक्ष में सार्वजनिक रूप से कुछ बोला। दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में आपने चुप्पी क्यों साधे रखी? तब से लेकर अब तक आपने प्रभावित समुदायों की समस्याओं का समाधान करने और उनका विश्वास बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

2. बिलकिस बानो मामले पर मनीष सिसोदिया की शर्मनाक चुप्पी

बिलकिस बानो मामले ने जाति धर्म से परे जाकर देश की संवेदनाओं को झकझोर दिया था। लेकिन तब मनीष सिसोदिया ने उस शर्मनाक घटनाक्रम की निंदा करने या उसपर किसी तरह की टिप्पणी करने से स्पष्ट शब्दों में इनकार कर दिया था। इससे न्याय के प्रति आआपा की प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं। उस मामले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने या पीड़िता के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए आआपा ने क्यों कुछ नहीं किया?

3. सीएए और एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान शाहीन बाग को लेकर आआपा का बयान

शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन सीएए और एनआरसी जैसे भेदभाव से भरे कानूनों के ख़िलाफ़ शान्तिपूर्ण विरोध का प्रतीक था लेकिन आपने क्षेत्र को “ख़ाली कराने“ को लेकर जो बयान दिया था, उससे उस दौरान हो रहे प्रदर्शनों की वैधता को लेकर गंभीर सवाल उठे और कमज़ोर समुदायों की आवाज़ और कमज़ोर हुई। क्या नागरिक स्वतंत्रता और असहमति के प्रति आआपा का यही दृष्टिकोण है?

4. निजामुद्दीन मरकज का मामला

कोराना महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज को लेकर जिस तरह से एक समुदाय विशेष को दोषी ठहराया गया, उससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा। आआपा सरकार ने उस घटना को इस तरह से हैंडल किया, जिससे लगा कि एकता की भावना को मजबूत करने की बजाय विभाजन की राजनीति को बढ़ावा दिया गया है। आपकी सरकार ने उस विभाजनकारी नैरेटिव का मुक़ाबला करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए क्या किया था?

5. आआपा विधायक नरेश यादव की सजा

पवित्र क़ुरान शरीफ़ की बेहदबी मामले में आआपा विधायक नरेश यादव को सजा मिलना गंभीर चिंता का विषय है। आआपा ऐसे विभाजनकारी काम करने वालों को पार्टी में रखने को कैसे न्यायसंगत ठहराती है? क्या पार्टी में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं?

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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