जोधपुर, 15 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अनिश्चितकाल तक किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। जब तक कोर्ट द्वारा किसी आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जाता है तब तक वह निर्दोष ही माना जाएगा।
दरअसल हत्या के आरोपों में विचाराधीन अभियुक्त गजेंद्र सिंह ने अपनी अधिवक्ता दीपिका सोनी के जरिए हाईकोर्ट में जमानत याचिका प्रस्तुत की। जिस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने आदेश पारित करते हुए स्पष्ट लिखा कि अनिश्चित काल तक किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि मुकदमे की धीमी गति से प्रगति को देखते हुए इसमें अभी भी समय लगेगा। गजेंद्र सिंह पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था। साल 2018 में ट्रायल शुरू किया गया लेकिन अभियोजन पक्ष के गवाह पूरे नहीं हो सके। अभियोजन पक्ष के कुल 48 गवाहों में से केवल 16 की अब तक जांच हो सकी है।
अदालत ने कहा कि परीक्षण द्वारा ईमानदारी से प्रयास नहीं किए गए हैं। न्यायालय द्वारा जब तक अभियुक्त को दोषी साबित न हो तब तक निर्दोष माना जाएगा। अदालत के इस फैसले से गजेंद्र सिंह को बड़ी राहत मिली है। गजेंद्र सिंह की ओर से अधिवक्ता दीपिका सोनी ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि उसके खिलाफ कथित अपराधों के लिए कोई मामला नहीं बनता है और उसे कारावास की सजा नहीं दी जानी चाहिए।
अभियोजन पक्ष के मामले में कई और खामियां हैं। इस मामले में कोई भी ऐसा कारक नहीं है जो आरोपी याचिकाकर्ता को जमानत दिए जाने के खिलाफ काम कर सके। उसे अनुमान के आधार पर आरोपी बनाया गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विचाराधीन अपराध का होना चाहिए, कैदी का नहीं। अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट लिखा है कि हमें पूरा विश्वास है कि जिस तरह से अभियोजन एजेंसी और न्यायालय ने कार्यवाही की है, उससे अभियुक्त के त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन कहा जा सकता है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हुआ है।
(Udaipur Kiran) / सतीश