Haryana

कौशलयुक्त प्रशिक्षण, शिक्षण एवं अनुसंधान के क्षेत्रों में मिलकर कार्य करेंगे हिसार का गुजवि व भिवानी का सीबीएलयू

एमओयू का आदान-प्रदान करते गुजवि के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व सीबीएलयू की कुलपति प्रो. दीप्ती धर्मानी।

दोनों विश्वविद्यालयों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा एमओयू : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

हिसार, 14 जनवरी (Udaipur Kiran) । यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विश्वविद्यालय व भिवानी के चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय कौशलयुक्त प्रशिक्षण, शिक्षण

एवं अनुसंधान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मिलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में गुजविप्रौवि

व सीबीएलयू के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) पर मंगलवार काे हस्ताक्षर किए गए हैं।

गाुजवि में हुए इस एमओयू पर गुजवि के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने हस्ताक्षर

किए, जबकि सीबीएलयू की ओर से कुलपति प्रो. दीप्ती धर्मानी ने हस्ताक्षर किए। गुजविप्रौवि

के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह ने गुजवि की

ओर से तथा सीबीएलयू की कुलसचिव डा. रीतू सिंह व डायरेक्टर रिसर्च प्रो. संजीव कुमार

ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर प्रो. नीरज दिलबागी व प्रो. अर्चना कपूर

उपस्थित रहे।

गुजवि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों

के लिए अत्यंत उपयोगी होगा। दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से संचार एवं सहयोग के

चैनल स्थापित करेंगे, जो संस्थान और उसके संबंधित विभागों में उनके संबंधित कार्यों

को बढ़ावा देंगे और आगे बढ़ाएंगे। दोनों संस्थान एक दूसरे को संभावित अवसरों के बारे

में अवगत कराएंगे तथा एक दूसरे के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए प्रासंगिक

सभी जानकारी सांझा करेंगे। दोनों संस्थानों के संकाय की बौद्धिक क्षमताओं के प्रभावी

उपयोग की सुविधा प्रदान की जाएगी। दोनों विश्वविद्यालय एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे

और इस एमओयू के संदर्भ में विचार किए गए कार्यों को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक सभी

प्रासंगिक समझौतों, कार्यों और दस्तावेजों को यथासंभव व्यावहारिक रूप से शीघ्रता से

संपन्न करेंगे।

सीबीएलयू की कुलपति प्रो. दीप्ती धर्मानी ने कहा कि गुजविप्रौवि सीबीएलयू को

गुजविप्रौवि के शैक्षणिक विभागों के समान एक शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में

मान्यता देगा तथा सीबीएलयू के शिक्षकों को शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यों के लिए गुजविप्रौवि

के शिक्षकों समान मान्यता देगा। साथ ही दोनों सहयोगी विश्वविद्यालय पीजी व पीएचडी विद्यार्थियों

को अपनी प्रयोगशालाओं में शोध करने का भी अवसर प्रदान करेंगे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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