दतिया, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में बिख्यात भगवान बालाजी के सूर्य मंदिर पर मकर सक्रांति का बिशाल मेला 14 एवं 15 जनवरी सोमवार एवं मंगलवार को आयोजित किया जा रहा है मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना ब्यक्त की जा रही है मेले के सफल आयोजन के लिए बालाजी मन्दिर कमेटी ने जिला प्रशासन से ब्यापक प्रबंध करने की मांग की है ।
मकर संक्रांति कौन से वाहन पर सवार होकर आ रही है और क्या प्रभाव रहेगा। पं. मनोज दत्त त्रिपाठी के अनुसार इस बार वर्ष 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी मंगलवार को ही रखा जाएगा, जब सूर्य प्रातः 8ः41 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। शनिदेव मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनिदेव के पिता सूर्यदेव है। सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
कैसा रहेगा इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व-
मकर संक्रांति का वाहन इस वर्ष मकर संक्रांति का मुख्य वाहन व्याघ्र (बाघ) और उपवाहन अश्व (घोड़ा) होगा।
मकर संक्रांति का प्रभाव – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति के वाहन का समाज और प्रकृति पर विशेष प्रभाव पड़ता है। बाघ वाहन होने से इस वर्ष सोना-चांदी, चावल, दूध और दलहन आदि के दाम बढ़ सकते हैं। राजा के प्रति विरोध की भावना बढ़ सकती है, पुजारी वर्ग, संन्यासियों और जनता को कष्ट हो सकता है।भ्रष्टाचार में वृद्धि और देश का कर्ज बढ़ने की संभावनाएं हैं।
मकर संक्रांति के दिन क्या करें –
इस दिन पवित्र नदी में तिल के उबटन के साथ स्नान करना और तिल से बनी वस्तुओं, कंबल एवं वस्त्रादि का दान करना शुभ माना जाता है। साथ ही, मकर संक्रांति पतंग उड़ाने की परंपरा सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में मनाई जाती है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। मकर संक्रांति पर सूर्य को अघ्र्य देना और विष्णु पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा करने एवं तीर्थ दर्शन, नदी स्नान और दान पुण्य के साथ ही पितृ तर्पण करने की परंपरा भी है।
भगवान भास्कर की पूजा अर्चना का मुख्य पर्ब मकर संक्रांति मेले की सूर्य मंदिर पर तैयारियां शुरू हो गई है मकर संक्राति का यह मेला भगवान बालाजी के बढ़े मेलो में शुमार माना जाता है मेले में आज के दिन भीड़ ज्यादा होने की सम्भावना ब्यक्त की जा रही है।
मकर सक्रांति पर्व के सम्बंध में कस्वा उनाव के ज्योतिषाचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि ज्योतिष कालगणना की मान्यता के अनुसार सूर्य के मकर राशि मे प्रबेश करने की प्रक्रिया को मकर संक्रांति कहते है। पुराणों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के आते है चूँकि मकर राशि का स्वामी शनि है और इस दिन सूर्य देव शनि महाराज का भंडार भरते है।
इस दिन तीर्थ स्थलों से प्रवाहित नदियों में स्नान कर तिल एबं गुड़ का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । चूंकि भगवान भास्कर को ऊर्जा एबं शक्ति का भंडार का देवता माना जाता है इसीलिए सूर्य की उत्तरायण गति होते ही मकर सक्रांति से सभी जीवो में नव चेतना एबं उल्लास का संचार होने लगता है।
मकर सक्रांति मेले में पहूज नदी पर पर्याप्त मात्रा में गोताखोर तैनात करने,यात्रियों को ठंड से राहत देने के लिए अलाव जलवाने,एबं सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने की माँग जिला प्रशासन से की है। वहीं सेंवढ़ा में भी मकर संक्रांति पर भक्तगण सैकड़ो की संख्या में पहुंचेगे।
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा