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तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ के तीन परीक्षण किये गए 

एंटी-टैंक फायर एंड फॉरगेट गाइडेड मिसाइल नाग मार्क-2 का परीक्षण

– मिसाइल ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट किया

नई दिल्ली, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । ​पोखरण फील्ड रेंज में स्वदेशी रूप से विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक फायर एंड फॉरगेट गाइडेड मिसाइल नाग मार्क-2 के तीन परीक्षण किये गए हैं। इस दौरान मिसाइल ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट कर दिया। यह फील्ड मूल्यांकन परीक्षण भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुए। इसके साथ ही अब पूरी हथियार प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी है।

रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक फायर-एंड-फॉरगेट गाइडेड स्वदेशी मिसाइल नाग मार्क-2 के फील्ड मूल्यांकन परीक्षण हाल ही में किये गए हैं। पोखरण फील्ड रेंज में परीक्षण के समय भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी रही। तीनों फील्ड परीक्षणों के दौरान मिसाइल प्रणालियों ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट कर दिया। इसी दौरान नाग मिसाइल कैरियर वर्जन-2 का भी फील्ड मूल्यांकन किया गया। इसके साथ ही अब पूरी हथियार प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए तैयार करने पर सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की है।

यह आधुनिक मिसाइल बड़े टैंक को किसी भी मौसम में निशाना बना सकती है। कई खूबियों के अलावा इसमें इंफ्रारेड भी है, जो लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक करता है। इसके बाद नाग अचानक ऊपर उठती है और फिर तेजी से टारगेट के एंगल पर मुड़कर उसकी ओर चल देती है। लक्ष्य भेदने की इसकी क्षमता काफी सटीक है। ये वजन में काफी हल्की होती है, लेकिन इसके बावजूद दुश्मन के टैंक समेत अन्य सैन्य वाहनों को सेकेंडों में समाप्त कर सकती है। यह उन पांच मिसाइल प्रणालियों में से एक है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया है।

डीआरडीओ ने इसका विकास 300 करोड़ की लागत से किया है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी. तक है। इसका पहला सफल परीक्षण नवम्बर 1990 में किया गया था। इसे ‘दागो और भूल जाओ’ टैंक रोधी मिसाइल भी कहा जाता है, क्योंकि एक बार इसे दागे जाने के बाद पुनः निर्देशित कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती। 18 जुलाई, 2019 को भी डीआरडीओ ने पोखरण के फायरिंग रेंज में नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस तरह की मिसाइलों के अलग-अलग ट्रायल किए जाते हैं। इसी क्रम में एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ की तीसरी पीढ़ी का आज आखिरी ट्रायल किया गया है।

इससे पहले भी अलग-अलग तरीके की नाग मिसाइलों के परीक्षण 2017, 2018 और 2019 में किये जा चुके हैं। हर बार इसमें कुछ नया जोड़ा जाता रहा है। पूरी तरह से देसी नाग मिसाइल वजन में काफी हल्की, मीडियम और छोटी रेंज की है, जो फाइटर जेट, वॉर शिप समेत अन्य कई संसाधनों के साथ काम करती है। इसमें अचूक निशाना लगाने की क्षमता है और दुश्मन के टैंक को नेस्तानाबूद कर सकती है। यह एंटी टैंक मिसाइल दुश्मन के टैंक समेत अन्य सैन्य वाहनों को सेकेंडों में समाप्त कर सकती है।

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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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