मंदसौर, 12 जनवरी (Udaipur Kiran) । मंदसौर और नीमच जिले में पशुपतिनाथ साख संस्था द्वारा किए गए घोटाले से सैकड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई डूब गई है। इस प्रकरण में उप आयुक्त सहकारिता विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि विभाग को पहले से जानकारी थी कि यह संस्था आर्थिक घपला कर भाग सकती है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। इस प्रशासनिक उदासीनता ने अनेक यक्ष प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सबसे बडी बात यह है कि सहकारिता विभाग मंदसौर बिना किसी बडी जांच या पडताल के संस्थाओं का पंजीयन कर देते है, पंजीयन के बाद संस्था का वार्षिक आडिट सहकारिता विभाग के प्रशासक करते है लेकिन वे भी लेन देन करके इन संस्थाओं को क्लिन चीट दे देते है और यह संस्थाएं बाद में आर्थिक घोटाले करके निकल जाती है और आमजनता कुछ नहीं कर पाती। लोगों ने मांग की कि संस्था का वार्षिक आडिट किस आडिटर ने किया, यह भी सवालों के घेरे में है। अगर संस्था में अनियमितताएं हो रही थीं, तो इसे आॅडिटर ने क्यों नहीं पकड़ा? क्या आॅडिट प्रक्रिया में भी मिलीभगत थी? क्योकि संस्था वर्ष 2015 -16 से संचालित होना बताया जा रहा है। विगत दिनों घोटाले से प्रभावित निवेशकों और एजेंटों ने पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने साख संस्था के पंजीयन से लेकर अब तक की सभी प्रक्रियाओं की गहन जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मामले में 12 जनवरी तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।
जिम्मेदार अधिकारियों पर होनी चाहिए कार्यवाही
बडी बात यह है कि इस प्रकार की संस्थाएं पहले भी लोगों की गाढी कमाई का पैसा लेकर भाग चुकी है लेकिन लचिले कानून की वजह से कभी न तो संस्था संचालक पर कोई बडी कार्यवाही होती है और ना ही लोगों को उनका पैसा वापस मिलता है। इस प्रकरण ने एक बार फिर सहकारिता विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जिम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटालेबाजों के लिए प्रोत्साहन का काम करेगा।
पिता ने जारी कि विज्ञप्ति कहां मेरा कोई लेना देना नहीं
पशुपतिनाथ साख संस्था के संचालक आशीष हाड़ा और उसके भाई को लेकर उनके पिता ने एक विज्ञप्ति जारी की है जिसमें बताया गया है कि मेरा मेरे दोनों पुत्रों से कोई लेना देना नहीं है, इस प्रकरण में कुछ नहीं कर सकता। आपको बता दें कि हाड़ा ंबंधुओं के पिता रतलाम जिले में पुलिस विभाग में एएसआई के पद पर कार्यरत है। मामले में यह भी बताया जा रहा है कि पशुपतिनाथ साख संस्था ने जो ऋण वितरण किया था उसकी रिकवरी न होने से भी संस्था को बडा नुकसान हुआ है।
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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया