Maharashtra

पुस्तकालयों के सशक्तिकरण हेतू निधि दी जाएगी-उद्योग मंत्री सामंत 

Fund will be given to strengthen libraries

मुंबई , 12जनवरी ( हि. स.) मराठी में श्रेष्ठ पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए प्रकाशकों को राज्य सरकार संरक्षण मिलना चाहिए। पुस्तकों के प्रसार के लिए पुस्तकालयों को सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। निजी व्यवसायों द्वारा उपलब्ध कराए गए सीएसआर फंड का उपयोग पुस्तकालयों के संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए। राज्य के उद्योग और मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने कहा, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं,उन्होंने बताया कि राज्य में पुस्तकालयों के सशक्तिकरण हेतू निधि दी जाएगी।इस मौके पर साहित्यकार एवं राज्य साहित्य संस्कृति बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रो. डॉ प्रदीप धवल द्वारा लिखित जीवनी उपन्यास ‘संन्यास ज्वालामुखी’ का विमोचन आज रविवार को मंत्री उदय सामंत की उपस्थिति में हुआ।

कोंकण मराठी साहित्य परिषद, शारदा एजुकेशन सोसायटी और शारदा प्रकाशन के सहयोग से रविवार को ठाणे से डॉ. काशीनाथ घाणेकर रंगमंच पर प्रो. डॉ प्रदीप धवल द्वारा लिखित स्वामी विवेकानंद पर आधारित उपन्यास ‘संन्यस्त ज्वालामुखी’ का विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मंत्री उदय सामंत, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक, राज्य साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड के अध्यक्ष . डॉ. सदानंद मोरे, विश्वकोश निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष, रवींद्र शोभने, वरिष्ठ नाटककार अशोक समेल, लेखक-कवि प्रो. अशोक बागवे, प्रो. प्रवीण दवणे, किशोर कदम (सौमित्र), कोंकण मराठी साहित्य परिषद की अध्यक्ष नमिता कीर, तथा शारदा एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष विलास थुसे, उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मंत्री उदय सामंत ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम ट्रक के पीछे ‘पढ़ोगे तो पढ़ोगे’ का संदेश लिखें। यदि इस स्थिति को सुधारना है तो हर जिले में अच्छे लेखक और वक्ता तैयार करने होंगे। स्वामी विवेकानंद, जिन्होंने दृढ़तापूर्वक दुनिया को बताया कि हिंदू धर्म क्या है, के विचार आज की पीढ़ी तक पहुंचाए जाने चाहिए। इस अवसर पर मंत्री उदय सामंत ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि उपन्यास ‘संन्यस्त ज्वालामुखी’ राज्य के सभी पुस्तकालयों तक पहुंचना चाहिए।

इस अवसर पर राज्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. सदानंद मोरे ने कहा कि महाराष्ट्र ने हमेशा स्वामी विवेकानंद को प्यार किया है। लोकमान्य तिलक बनाम. निवासी करंदीकर सहित कई लोगों ने मराठी समुदाय को स्वामी विवेकानंद के विचारों से परिचित कराया है। महाराष्ट्र में उस परंपरा में विवेकानंद के विचारों प्रवक्ता प्रोफेसर डॉक्टर प्रदीप धवल हैं, इन शब्दों में, डॉ. सदानंद मोरे, जीवनी लेखक प्रो. डॉ धवल को सम्मानित किया गया। विश्वकोश निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र शोभने ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय समाज में धर्म और राज्य के बीच संघर्ष अभूतपूर्व है। यह कहना बहुत जटिल है कि हिंदू धर्म वास्तव में क्या है। हालाँकि, स्वामी विवेकानंद की महानता इस तथ्य में निहित है कि हिंदू धर्म की खोज में उन्होंने जो दर्शन प्रचारित किया वह भारत में सभी विचारधाराओं, वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों को स्वीकार्य है। इसलिए डॉ. का मानना है कि केवल विवेकानंद के विचार ही आज की पीढ़ी को बचा सकते हैं।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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