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एसीबी कोर्ट एवं अनुसंधान अधिकारियों के आपसी समन्वय एवं तथ्यों की प्रभावी जांच से ही आमजन को त्वरित न्याय मिलेगा:  एसीबी महानिदेशक

एसीबी कोर्ट एवं अनुसंधान अधिकारियों के आपसी समन्वय एवं तथ्यों की प्रभावी जाँच से ही आमजन को त्वरित न्याय मिलेगा:  एसीबी महानिदेशक
एसीबी कोर्ट एवं अनुसंधान अधिकारियों के आपसी समन्वय एवं तथ्यों की प्रभावी जाँच से ही आमजन को त्वरित न्याय मिलेगा:  एसीबी महानिदेशक

जयपुर, 11 जनवरी (Udaipur Kiran) । भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, राजस्थान द्वारा शनिवार को सिक्योरिंग कांविक्शन इन एसीबी कोर्ट – द वे फॉरवर्ड विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में किया गया ।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि रवि प्रकाश मेहरड़ा, महानिदेशक (डीजी), एसीबी और विशिष्ट अतिथि रवि शर्मा, सचिव, विधि (गृह) एवं निदेशक अभियोजन ने किया।

महानिदेशक, एसीबी ने कार्यक्रम मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधन में कहा की एसीबी कोर्ट एवं अनुसंधान अधिकारियों के आपसी समन्वय एवं तथ्यों की प्रभावी जांच से ही आमजन को त्वरित न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा यह कार्यशाला आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य हैं की विशेष न्यायालय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में पदस्थापित विशेष लोक अभियोजक एवं ब्यूरो के अनुसन्धान अधिकारियों को एक प्लेटफार्म पर लाकर आपसी समस्या, अनुभवों को साझा कर चर्चा करना , जिससे टीम भावना को बढ़ावा मिले साथ ही राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति को भी हम मजबुती से लागू कर सकते हैं। यह कार्यशाला एसीबी कोर्ट की कार्रवाईयों में प्रभावी कुशलता एवं ज्ञानवर्धन करने के उद्देश्य के साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश और रणनीतियां प्रदान करने पर केंद्रित रही।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रवि शर्मा, सचिव, विधि (गृह) एवं निदेशक अभियोजन ने अपने प्रेरक उद्घाटन भाषण में, न्यायिक प्रक्रिया को सुदृढ़ करने, भ्रष्टाचार मामलों में प्रभावी कार्रवाई और अभियोजन प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जोर दिया की हमें विभिन्न टीमों का गठन कर पिछले 3 साल के लंबित प्रकरण का विश्लेशन कर अनुसन्धान एवं प्रोसेक्युशन अधिकारियों तथा कोर्ट के समन्वय से स्पीडी ट्रायल करने की कार्रवाई करनी चाहिए।

कार्यशाला की शुरुआत में एडीजी (एसीबी) स्मिता श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और इस कार्यशाला के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भ्रष्टाचार मामलों में पारदर्शिता और सजा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की यह प्रथम कार्यशाला हैं जहाँ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में पदस्थापित विशेष लोक अभियोजक एवं ब्यूरो के अनुसन्धान अधिकारियों को एक प्लेटफार्म पर कार्यशाला के माध्यम से सम्मिलित किया गया है जिससे आपसी चर्चा कर कमियों को दूर कर सुधार लागू किया जा सकता हैं।

पूरे दिन चली इस कार्यशाला में अभियोजन और जांच अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। सजा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और ज्ञान साझा किए, जिससे प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई।

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(Udaipur Kiran)

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