जबलपुर, 9 जनवरी (Udaipur Kiran) । मध्यप्रदेश में पुलिस थानों से मंदिर हटाए जाने की याचिका को हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सुनवाई करते हुए निरस्त कर दी। हाईकोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 2009 में इस प्रकार के मंदिरों की स्थापना पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है और अब इस आदेश का पालन करना सरकार की जिम्मेदारी है। इस याचिका में प्रदेश के 1259 पुलिस थानों में से करीब 800 थानों में मंदिर और धार्मिक संरचनाओं के निर्माण पर सवाल उठाया गया था।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब इस मुद्दे पर पहले ही निर्णय आ चुका था,तो याचिका क्यों दाखिल की गई। यदि किसी को आपत्ति हो तो वे अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से हस्तक्षेप याचिका लगाई गई थी। पुलिस थानों में बने मंदिर मामले में हस्तक्षेप कर्ता ने साल 2009 की याचिका का हवाला देकर याचिकाकर्ता और उनके अधिवक्ता पर भी सवाल उठाए.हस्तक्षेप याचिका में इस तरह की याचिकाओं के जरिए समाज का वातावरण प्रदूषित होने और शांति भंग होने की दलील दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक संरचनाओं के निर्माण पर स्पष्ट निर्देश दिए थे,जिन्हें पालन करना अनिवार्य है इस मामले में कोई नया याचिका दाखिल करना सही नहीं है। एडवोकेट सतीश वर्मा द्वारा दायर याचिका में प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में मंदिरों और धार्मिक स्थलों के निर्माण पर आपत्ति जताई गई थी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक