लखनऊ, 09 जनवरी (Udaipur Kiran) । इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में गुरुवार को प्राविधिक शिक्षा विभाग और मेधा फाउंडेशन के सहयोग से पाथवे टू इम्प्लॉयमेंट समिट का आयोजन किया गया। इस समिट का उद्देश्य युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से रोजगार के लिए सशक्त बनाना, महिला रोजगार को प्रोत्साहित करना, स्टार्टअप और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, और देश के आर्थिक विकास में योगदान देना है।
कार्यक्रम में 110 से अधिक प्रतिष्ठित औद्योगिक संगठनों के शीर्ष प्रबंधकों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस समिट ने शिक्षा, उद्योग, और सरकार के बीच साझेदारी को सुदृढ़ करने का मंच प्रदान किया, जिससे रोजगार और उद्यमशीलता के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खुला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हरिओम, प्रमुख सचिव, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता विभाग, उत्तर प्रदेश का स्वागत प्रशिक्षण एवं सेवायोजन के अपर निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर किया।
डॉ. हरिओम ने अपने संबोधन में कहा कि नीतियां बनाना आसान है, लेकिन उन्हें प्रभावी तरीके से अमल में लाना ही असली चुनौती है। हमें ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए एग्रो सेक्टर और छोटे उद्योगों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के जरिए युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
प्राविधिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण ने अपने संबोधन में कहा कि उद्योग जगत और शिक्षा क्षेत्र के बीच मजबूत तालमेल से युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिए जा सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कौशल विकास कार्यक्रम सीधे इंडस्ट्री की आवश्यकताओं से जुड़े हों। उन्होंने अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इंडस्ट्री से सहयोग की अपील की।महानिदेशक प्राविधिक शिक्षा अविनाश कृष्ण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि डिप्लोमा और तकनीकी पाठ्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप अद्यतन किया जाना चाहिए। यह समय की मांग है कि हमारे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सीधे रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले बनें। उन्होंने औद्योगिक प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम संशोधन के महत्व को रेखांकित किया।
निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन नेहा प्रकाश ने महिलाओं को रोजगार के क्षेत्र में बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, देश की प्रगति में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इंडस्ट्री को महिला रोजगार को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, आईटीआई उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उचित वेतन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। निदेशक, आईआरडीटी एफ. आर. खां ने अभ्यर्थियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण और ऑन-जॉब अनुभव प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इंडस्ट्री से इस दिशा में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि इंडस्ट्री भ्रमण और व्यवहारिक प्रशिक्षण से अभ्यर्थियों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय