Uttrakhand

सुयालकोट भूस्खलन क्षेत्र का एनएच की तर्ज पर होगा ट्रीटमेंट

देवाल के सुयालकोट का भूस्खलन क्षेत्र।

गोपेश्वर, 09 जनवरी (Udaipur Kiran) । चमोली जिले के देवाल विकास खंड के 12 से अधिक गांवों की जोड़ने वाली लाइफ़ लाइन देवाल-खेता मानमती मोटर मार्ग पर बीते चार से सुयालकोट के पास भूस्खलन हो रहा है। इस भूस्खलन को रोकने के लिए अब एनएच की तर्ज पर ट्रीटमेंट करने की कवायत शुरू हो गई। टीएचडीसी डीपीआर तैयार कर लोनिवि को देगा। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो इस वर्ष सुयालकोट का ट्रीटमेंट हो जाएगा।

देवाल-खेता मानमती मोटर सुयालकोट में थोड़ी सी बारिश में ऊपर से लगातार भूस्खलन शुरू हो जाता है। सड़क का एक बड़ा भू भाग पिंडर नदी में समा गया है। पिछले चार साल से बरसात में सड़क मार्ग बंद होना एक आम बात हो गई है। जिससे घाटी का सम्पर्क ब्लांक मुख्यालय से कट जाता है। क्षेत्र के दस हजार की आबादी को आवाजाही के लिए बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है। घाटी में जाने के लिए एक मात्र मोटर सड़क होने से दो माह खाद्यान्न संकट बना रहता है। यह सड़क मोपटा, मेलखेत, नलधूरा, हरमल, वोटिंग, उदयपूर, सौरीगाड,नमला, रामपूर, तोरती, झलकियां, कुंवारी, खेता, मानमति सहित कुमांऊ के जनपद बागेश्वर के कई गांवों को जोड़ता है।

क्षेत्र के प्रशासक प्रधान सरस्वती बागड़ी, दीवान राम, उर्बी दत्त जोशी, भवानी दत्त, पूर्व क्षेपंस जसवंत सिंह कुंवर ने कहा कि पिछले चार साल से सुयालकोट में भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट करने के लिए कई बार आंदोलन कर चुके हैं।

क्षेत्रीय विधायक भूपाल राम टम्टा और लोनिवि के मुख्य और प्रमुख अभियंता सुयालकोट भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण कर चुके हैं। लोनिवि ने पूर्व में भूगर्भीय सर्वेक्षण भी किया है। फिर भी सड़क का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। जबकि लोनिवि को ट्रीटमेंट के लिए डेढ़ करोड़ स्वीकृत हुआ था।

विभाग का कहना था कि भूस्खलन क्षेत्र पहले 125 मीटर था जो लगातार बढ़ कर 250 मीटर से अधिक बढ़ गया है इस राशि में ट्रीटमेंट होना संभव नहीं है। अब सड़क की डीपीआर टीएचडीसी तैयार करने में जुटी है। एनएच की तर्ज पर भूस्खलन क्षेत्र सुयालकोट का ट्रीटमेंट होने की आश‌ जग गई ‌है। सम्भवत अप्रैल माह में डीपीआर तैयार हो जाएगी।

क्या कहते है अधिकारी:-अधीक्षण अभियंता लोनिवि गोपेश्वर चमोली रमेश चंद्र ने कहा कि भूस्खलन क्षेत्र का लोहे की जाली, सरिया, सीमेंट ‌डाल कर सड़क के ऊपर और नीचे छोर पर ट्रीटमेंट होना है। पिंडर नदी का कटाव रोका जाना है। टीएचडीसी अप्रैल माह तक डीपीआर बना कर सौंप देगा और फिर एनएच की तरह ट्रीटमेंट शुरू होगा।

(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल

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