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गृह मंत्रालय ने टीबी उन्मूलन अभियान के लिए राज्यों को पत्र लिखा

केंद्रीय गृह मंत्रालय की इमारत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 9 जनवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को टीबी उन्मूलन अभियान को लेकर पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि वे भारत से इस बीमारी को खत्म करने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता के तहत जेलों और सुधार संस्थानों में तपेदिक (टीबी) उन्मूलन पर 100 दिनों का गहन अभियान आयोजित करें।

एमएचए ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव (गृह/जेल), डीजी-आईजी जेल को टीबी उन्मूलन पर 100 दिवसीय सघन अभियान आयोजित करने के लिए लिखे पत्र में कहा है कि जैसा कि आप जानते हैं, टीबी (टीबी) जेलों में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है क्योंकि जेलों में बंद सेटिंग और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में टीबी संक्रमण के लिए प्रजनन स्थल बनने की संभावना है, जिससे कैदियों की आबादी में बीमारी का बोझ बढ़ जाता है और कैदियों की रिहाई के बाद और उनके आगंतुकों के साथ उनकी आवधिक बातचीत के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा होता है। अपर्याप्त जांच और जागरूकता की कमी को जेलों के अंदर टीबी को नियंत्रित करने में प्रमुख चुनौतियों के रूप में देखा जाता है।

पत्र में कहा गया है कि भारत में टीबी को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, भारत सरकार ने हाल ही में टीबी उन्मूलन पर 100 दिवसीय गहन अभियान शुरू किया है, जो 7 दिसंबर, 2024 को शुरू हुआ। यह राष्ट्रव्यापी पहल टीबी को खत्म करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु दर में कमी आई है।

पत्र में कहा गाय है कि जेलों के अंदर टीबी के प्रसार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने और रोकने के लिए, 100 दिवसीय गहन अभियान के तहत 3 से 15 फरवरी की अवधि के दौरान राज्य स्वास्थ्य विभाग, राज्य टीबी अधिकारियों और जिला टीबी अधिकारियों के परामर्श से सभी जेलों में स्क्रीनिंग कैंप (निक्षय शिविर) आयोजित करें। इसके अलावा 27 जनवरी से 2 फरवरी के बीच नि-क्षय शपथ (प्रतिज्ञा) दिलाएं। सभी जेलों व कार्यालयों और संगठनों में सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सामग्री का प्रदर्शन किया जाए। जेलों और सुधार संस्थानों के कर्मचारियों में क्षय रोग के बारे में जागरूकता पैदा की जाए।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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