जोधपुर, 8 जनवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने जालोर जिले में एक समाज के लोगों के मकान तोडऩे पर रोक लगा दी है। कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई की गई थी जिसमें लक सिंह, देवी सिंह और मोहन सिंह की ओर से याचिका दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से निखिल भंडारी ने पैरवी की।
ग्राम डूड़सी निवासी लख सिंह, देवी सिंह व मोहन सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट याचिका तथा स्थगन प्रार्थना-पत्र एडवोकेट निखिल भण्डारी के मार्फत पेश किया था। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने बहस करते हुए हाईकोर्ट को यह बताया कि प्रार्थी कई पीढिय़ों से ग्राम डूड़सी के खसरा नम्बर 655 में पिछले 60 वर्षों से निवास कर रहे हैं। उनके पास जमीन की जमाबन्दी तथा नक्शा भी मौजूद हैं। वे भूमि की टैक्स भी सम्बन्धित विभाग में जमा कराते हैं, जिसकी सनद भी जारी हो चुकी हैं। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने बहस करते हुए यह भी बताया कि उन्होंने रिट याचिका के साथ प्रार्थीगणों के पुराने पक्के मकान के फोटो भी प्रस्तुत कर रखे हैं, लेकिन जालोर तहसीलदार, उपखण्ड अधिकारी व जिला कलेक्टर प्रार्थीगणों के निर्माण तोडक़र उन्हें बेघर व बेकब्जा करना चाहते हैं, जो कि अनुचित व अवैध हैं। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने हाईकोर्ट से यह अनुरोध किया कि अप्रार्थीगणों को ऐसा करने से रोका जाए। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने सुनवाई के बाद अप्रार्थीगणों को नोटिस जारी कर लख सिंह, देवी सिंह व मोहन सिंह के मकान व निर्माण को तोडऩे व उन्हें बेकब्जा करने पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगा दी।
(Udaipur Kiran) / सतीश