Uttar Pradesh

शीत लहर में छिप गया बब्बर शेर, प्राणी उद्यान ने बढ़ाई डाइट व लगाया ब्लोअर

शेर के बाड़े में लगा ब्लोवर
शेर के बाड़े में लगा हीटर

कानपुर, 07 जनवरी (Udaipur Kiran) । पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं से आमजन ही नहीं जंगल का राजा बब्बर शेर भी कानपुर प्राणि उद्यान में अपने बाड़े में छिपने को मजबूर हो गया। शीतलहर का सितम इस कदर है कि बब्बर शेर दर्शकों के लाख चिल्लाने के बाद बा​हर नहीं निकलता और दर्शक मायूस हो जाते हैं। हालांकि प्राणि उद्यान प्रशासन ने बब्बर शेर सहित सभी प्रमुख मांसाहारी जानवरों को शीतलहर से बचाने के लिए उनकी डाइट बढ़ा दी है। इसके साथ ही ब्लोअर व हीटर लगाकर उन्हे शीतलहर के प्रकोप से बचाने का भरसक प्रयास जारी है।

उत्तर प्रदेश में पड़ रही भीषण ठंड का असर मनुष्यों के साथ जीव जन्तुओं में भी साफ देखा जा रहा है। ऐसे में मंगलवार को कानपुर प्राणि उद्यान में जीव जंतुओं की व्यवस्थाओं को लेकर जमीनी हकीकत जानी गई। यहां पर उन सभी मांसाहारी जानवरों की गतिविधियों को देखा गया जो जंगल में अपने आगे सबको बौना समझते हैं। सफेद बाघिन सावित्री जो सदैव दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहती है और अपनी दहाड़ व बाड़े में उछल कूद कर दर्शकों को अपने पास लाने को मजबूर करने वाली वह बाड़े में गुमशुम दिखाई दी। कई बार आवाज देने के बाद भी अंदर वाले बाड़े से बाहर नहीं निकली तब जाकर कीपर का सहयोग लिया गया और दहाड़ते हुए बमुश्किल एक मिनट के लिए बाहर निकली और फिर अंदर बाडे में ब्लोअर के पास शीतलहर में जाने को मजबूर हो गई। इसके बाद बब्बर शेर के बाडे की ओर रुख किया गया और इसका भी वही हाल रहा। कई बार आवाज देने के बाद अंतत: बाहर निकला ही नहीं, अन्त में कीपर के जरिये ही उसका छाया चित्र लेना पड़ा। वहीं बगल के बाड़े में मादा बब्बर शेर भी ब्लोअर से हटना मुनासिब नहीं समझा। ऐसा ही हाल भेड़िया, लकड़बग्घा, तेंदुआ और सिंयार आदि जानवरों का रहा।

डाइट और ब्लोअर बचाव के बन रहे आधार

कानपुर प्राणि उद्यान के चिकित्सक डा. अनुराग सिंह ने बताया कि मांसाहारी जानवरों बाघ, शेर, तेंदुआ, भेड़िया और लकड़बग्घे मौजूदा समय में उद्यान में है। इन जानवरों के आहार में बदलाव करते हुए अब इन्हें फैटी मीट का सेवन कराया जा रहा है। पहले बाघ, शेर और तेंदुए को करीब सात किलो मीट का सेवन कराया जा रहा था, लेकिन ठंड की वजह से इसकी मात्रा बढ़ाकर दस किलो कर दी गयी है। भेड़िये और लकड़बग्घे के आहार में भी बदलाव करते हुए छह किलो से आठ किलो मीट की मात्रा बढ़ाई गई है। जबकि भालू को ठंड से बचाने के लिए शहद व अंडा दिया जा रहा है।

वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि मांसाहारी जानवरों को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए बाड़ों में लकड़ी के पटरे लगवाए गए हैं। साथ ही जानवरों के शरीर का तापमान स्थिर रखने लिए उनके बाड़ों के बाहर हीटर और ब्लोअर की भी व्यवस्था की गई है, जिनकी देखरेख करने लिए दिन रात केयर टेकर्स को जिम्मेदारी सौंपी गयी है।

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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap

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