चित्तौड़गढ़, 7 जनवरी (Udaipur Kiran) । जिले के प्रख्यात कृष्ण धाम श्री सांवलियाजी मंदिर में हजारों कबूतरों का बसेरा है। यहां बनी भव्य इमारत एवं कॉरिडोर की छत पर कबूतर निवास कर रहे हैं। इन्हें प्रतिदिन करीब एक क्विंटल तक अनाज डाला जा रहा है। यहां मंदिर में चढ़ावे के रूप में आने वाले अनाज को बिखरा देख कर शुरुआत की गई थी। आज स्थित यह है कि कबूतरों के लिए अनाज का स्टॉक भी है तथा नियमित रूप से अनाज डाला जाता है। श्रद्धालु जो दान के रूप में अनाज की मुट्ठी लेकर आते हैं, उसी से कबूतरों की सेवा का कार्य जारी है।
चित्तौड़गढ़ जिले के प्रख्यात कृष्ण धाम श्री सांवलियाजी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं तो श्रद्धालु मंदिर के विशाल भवन पर कबूतरों का बसेरा देखते हैं। कई बार उड़ते हुए कबूतर लोगों को आकर्षित भी करते हैं। हजारों की संख्या में कबूतर देख कर लोग आश्चर्यचकित भी हो जाते हैं कि इनके खाने की व्यवस्था कैसे हो पाती होगी। कस्बे के खेतों में कबूतर जाते हैं या मंदिर के आस-पास ही अनाज डाला जाता है। वास्तविकता यह है कि मंदिर परिसर में ही कबूतरों को अनाज डाल दिया जाता है। इसके अलावा कस्बे में भी कई स्थानों पर लोग कबूतरों को अनाज डालते हैं। लेकिन कबूतरों का जो स्थाई ठिकाना है वह सांवलियाजी मंदिर का विशाल शिखर और परिसर है। कॉरिडोर की छत पर भी कबूतरों ने अपना बसेरा बनाया हुआ है। यहां अनाज डालने की शुरुआत करीब 5 साल पहले हुई थी। वर्तमान में स्थानीय निवासी एवं मंदिर बोर्ड के सदस्य संजय मंडोवरा मंदिर कर्मचारियों के सहयोग से अनाज डालने की व्यवस्था कर रहे हैं। प्रतिदिन सुबह मंगला आरती के बाद कबूतरों को 80 किलो से एक क्विंटल तक अनाज डाला जा रहा है। पांच-सात साल में ऐसा लॉक डाउन के कुछ दिनों को छोड़ कर यह क्रम नहीं टूटा।
यूं हो गई शुरुआत
स्थानीय निवासी सदस्य संजय मंडोवरा ने बताया कि जब मिश्री और नारियल का प्रसाद चढ़ाना बंद हो गया था, तब श्रद्धालुओं की ओर से लिए जा रहे अनाज की मुट्ठी को भी गेट पर ही रखवाया जा रहा था। उस समय तात्कालिक परिस्थितियों में ध्यान नहीं देने के कारण अनाज प्रवेश द्वार के यहां बिखर रहा था। तब मंडोवरा ने अपने मित्र स्व. प्रकाश सोनी से बात कर कबूतर के लिए अनाज डालने का निर्णय किया। तब दोनों ही कबूतरों के लिए कॉरिडोर की छत पर अनाज डालने लगे।
कोरोना में धन एकत्रित खरीदना पड़ा था
मंडोवरा ने बताया कि कई श्रद्धालु मंदिर में अनाज लेकर आते हैं। कोई एक मुट्ठी तो कोई एक बोरी तो कोई इससे भी ज्यादा अनाज लाते हैं। अभी तो अनाज स्टॉक में भी है। लेकिन कोरोना के समय लॉक डाउन लगा तो कुछ दिन अनाज नहीं डाल पाए। फिर श्रद्धालु नहीं आ रहे थे तब अनाज की कमी आई। इस पर राशि एकत्रित कर अनाज खरीद कर भी लाना पड़ा था।
आवास भी बनाए लेकिन नहीं रुक रहे कबूतर
कबूतर मंदिर के शिखर पर बैठते हैं और इसे गंदा भी कर देते हैं। इसके लिए इसी बोर्ड के कार्यकाल में कबूतर के लिए आवास बनाए गए। सिंहद्वार के दोनों तरफ दो कबूतर खाने बनाए लेकिन कबूतर यहां नहीं रुकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / अखिल